हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा- सोहराबुद्दीन शेख केस से सामने आई न्यायप्रणाली की 'विफलता'

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 14, 2018 10:51 AM2018-02-14T10:51:22+5:302018-02-14T13:16:16+5:30

सोहराबुद्दीन शेख की मौत नवंबर 2005 में हुई थी। पुलिस पर आरोप है कि उसने शेख को फर्जी मुठभेड़ में मारा था। शेख की मौत के कुछ दिनों बाद ही उसकी पत्नी कौसर बी की भी हत्या हो गयी थी।

Ex-judge Abhay M Thipsay said Sohrabuddin Shaikh alleged fake encounter showed justice system failure | हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा- सोहराबुद्दीन शेख केस से सामने आई न्यायप्रणाली की 'विफलता'

हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा- सोहराबुद्दीन शेख केस से सामने आई न्यायप्रणाली की 'विफलता'

सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ केस मामले से जुड़े रहे बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभय एम थिप्से ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि इस मामले में "न्याय-प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं हुआ था।" पूर्व जस्टिस अभय एम थिप्से ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि इस मामले में जिस तरह हाई प्रोफाइल अभियुक्त बरी होने के तरीके, न्यायिकप्रक्रिया में "अनियमितता" और गवाहों पर दबाव और सबूतों से "छेड़खानी" उससे "न्यायप्रक्रिया की विफलता" का पता चलता है। 

जस्टिस थिप्से बॉम्बे हाई कोर्ट की उस पीठ के सदस्य थे जिसने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले से जुड़े चार अभियुक्तों की जमानत पर सुनवाई की थी। जस्टिस थिप्से मार्च 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के तौर पर मार्च 2017 में रिटायर हुए थे। जस्टिस थिप्से ने एक्सप्रेस से कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट को मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले की फिर से सुनवाई करनी चाहिए। सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की मुंबई की सीबीआई अदालत में सुनवाई चल रही है। जस्टिस थिप्से ने कहा कि अदालत मानती है कि सोहराबुद्दीन का अपहरण किया गया और उनका मुठभेड़ सुनियोजित था फिर भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बरी हो गये। जस्टिस थिप्से ने कहा कि मामले से जुड़े कई पहलू संदेह पैदा करते हैं। 

जस्टिस थिप्से ने कहा कि मामले में कई अभियुक्तों को कमजोर सबूतों का हवाला देकर बरी कर दिया गया लेकिन उन्हीं सबूतों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने कुछ अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाया। जस्टिस थिप्से ने कहा कि पुलिस को दिए कुछ गवाहों के बयान को कुछ मामले में सही माना गया और उन्हीं गवाहों के उन्हीं बयानों को कुछ अन्य लोगों को बरी करने के मामले में गलत ठहराया गया।

जस्टिस थिप्से ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "आपको यकीन है कि उसका (सोहराबुद्दीन शेख) अपहरण हुआ था। आपको ये भी यकीन है कि मुठभेड़ फर्जी थी। आपको ये भी यकीन है कि उसे फार्महाउस में गैर-कानूनी ढंग से बंधक रखा गया। लेकिन आपको इस पर यकीन नहीं है कि वंजारा (उस समय गुजरात के डीआईजी), दिनेश एमएन (तब राजस्थान पुलिस के एसपी) या राजकुमार पांडियन (तब गुजरात पुलिस के एसपी) इसमें शामिल थे।"

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