'जब से शिंदे सरकार बनी है, महाराष्ट्र को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है', उद्धव ठाकरे ने 'सामना' में किया तीखा हमला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 8, 2023 10:34 AM2023-12-08T10:34:03+5:302023-12-08T10:41:41+5:30
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र सामना ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे सरकार पर आरोप लगाया कि उनके मंत्रियों के बीच आपसी भरोसा और समन्वय की भारी कमी है।
मुंबई: शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र सामना ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे सरकार पर आरोप लगाया कि उनके मंत्रियों के बीच आपसी भरोसा और समन्वय की भारी कमी है। सामना की संपादकीय में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी और अजित पवार की एनसीपी में से प्रत्येक में एक "भावी सीएम" छिपा हुआ है।
ठाकरे के समाचार पत्र सामना की संपादकीय में लिखा है, "राज्य के एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों ने अपने साथी मंत्रियों को सावधान रहने की सलाह दी है ताकि सरकार को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। भले ही उन्होंने सरकार के मुखिया के रूप में यह सलाह दी हो फिर भी क्या मंत्रियों को ऐसे आदेश देना आवश्यक है?"
संपादकीय की कलम से आगे लिखा है, "शिंदे सरकार के इन मंत्रियों को 'अच्छी तरह से तैयार होकर आने' के लिए कहा गया है। मंत्रियों को सलाह दी गई है कि वे अधिकारियों से ठीक से ब्रीफिंग लें और भ्रामक जानकारी देने वाले अधिकारियों के रवैये को बर्दाश्त न करें।''
सामना के मुताबिक "इसका मतलब यह है कि शिंदे सरकार को अपने मंत्रियों की क्षमता पर भरोसा नहीं है और उन्हें डर है कि मंत्री को प्राशासनिक अधिकारी धोखा दे सकते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि मौजूदा सरकार में समन्वय कहां है?"
शिंदे सरकार को घेरते हुए आगे लिखा है, "इसका मतलब साफ है कि तीनों दलों में, नेताओं और मंत्रियों में तालमेल का स्पष्ट अभाव है। जब तीनों पार्टियों और नेताओं में तालमेल नहीं होगा तो भला सरकार के मंत्रियों में कैसे तालमेल होगा? इन तीनों पार्टियों में एक 'भावी मुख्यमंत्री' छिपा है। जबकि इस सरकार में पहले से ही एक उपमुख्यमंत्री था, उसके साथ जुड़ने के लिए एक और 'उपमुख्यमंत्री' लाया गया।''
सामना कहता है कि जब से वर्तमान एकनाथ शिंदे की सरकार सत्ता में आयी है, पूरे महाराष्ट्र को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।
सामना का संपादकीय आखिर में कहता है, ''विधानमंडल सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री एकानाथ शिंदे से उनके ही विधायक अपनी ही पार्टी के मंत्रियों की शिकायत करते हैं और मुख्यमंत्री के सामने अपने ही मंत्रियों को डांटने की नौबत तक आ जाती है। ये कैसा समन्वय है? सरकार सत्ता में आई, महाराष्ट्र में न तो समन्वय रहा और न ही विश्वास। जो बार-बार सामने आता है वह सिर्फ शर्मिंदगी है। अगर वर्तमान सरकार और उसकी कार्यप्रणाली महाराष्ट्र के लिए शर्मिंदगी नहीं है, तो यह क्या है?"