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अफगानिस्तान के घटनाक्रम देश की संरचना बदलने में आतंकवाद के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हैं:राजनाथ

By भाषा | Updated: September 25, 2021 17:54 IST

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम सत्ता की राजनीति की भूमिका और देश की संरचना और व्यवहार को बदलने के लिए एक औजार के रूप में आतंकवाद के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हैं।

तालिबान का जिक्र किये बगैर सिंह ने कहा कि विश्व आतंकवाद के अस्थिर करने वाले प्रभावों को देख रहा है, खासतौर पर हिंसक कट्टरपंथी ताकतों के ‘नयी सामान्य स्थिति बनाने’ के जरिए वैधता हासिल करने की कोशिशों के खतरनाक दृष्टांत को।

राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने यहां कहा कि बालाकोट और गलवान में भारत की कार्रवाई सभी आक्रांताओं को यह स्पष्ट संकेत है कि भारत की संप्रभुता को खतरा पैदा करने की किसी भी कोशिश का तेजी से और मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पैदा हुई अशांति आक्रमणकारी मंसूबों और गैर जिम्मेदार देशों के अपने नियंत्रण से बाहर के तत्वों का सक्रिय समर्थन करने के चलते आई है। यह पाकिस्तान की ओर उनका स्पष्ट संकेत नजर आता है।

सिंह ने कहा कि कट्टरपंथी और आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के बारे में भारत की चिंताओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बोध होने लगा है।

उन्होंने आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज, सभी जिम्मेदार राष्ट्रों को इस साझा बुराई के खिलाफ एक साथ आने की जरूरत का व्यापक रूप से एहसास हो चुका है। ’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान की घटनाओं की गूंज क्षेत्र में और इससे बाहर भी महसूस की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद कैसे अस्थिरता फैला सकता है और हिंसक कट्टर ताकतों की खतरनाक प्रवृत्ति कैसे सब कुछ सामान्य दिखाकर वैधता हासिल करने के प्रयास करती हैं, इसे आज दुनिया देख रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों ने हमारे समय की सच्चाई को मजबूत किया है। उभरती भू-राजनीति को लेकर निश्चितता सिर्फ उसकी अनिश्चितता ही है। देशों की सीमाओं में बदलाव आज बार-बार नहीं हो सकता है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘हालांकि देशों की संरचना में हो रहे तेजी से बदलाव और इसपर बाहरी ताकतों के पड़ सकने वाले प्रभाव साफ झलकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये घटनाएं सत्ता की राजनीति की भूमिका और देश की संरचना और व्यवहार को बदलने के लिए एक औजार के रूप में आतंकवाद के इस्तेमाल पर सवाल उठाती हैं।’’

उन्होंने चीन से लगी सीमा पर यथा स्थिति में बदलाव करने की कोशिशों और पश्चिमी सीमांत पर सीमा पार से आतंकवाद से जुड़ी भारत की सुरक्षा चुनौतियों का भी जिक्र किया।

सिंह ने कहा, ‘‘भारत सभी राष्ट्रों के बीच शांति एवं सदभावना के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन इसने यह दृढ़ संकल्प भी प्रदर्शित किया है कि अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के खतरे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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