नई बिजली मीटर लगाने के बावजूद भी कश्मीरियों को रमजान में नहीं मिल पा रही सही से बिजली, सरकार के दावे होते दिख रहे फेल

By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 29, 2023 04:40 PM2023-03-29T16:40:34+5:302023-03-29T16:53:58+5:30

राज्य में बिजली कटौती पर बोलते हुए सरकार ने सोमवार को कहा था कि कटौती में तीन घंटे की कटौती की गई है और मार्च के अंत तक बिजली की नई समय सारिणी की घोषणा की जाएगी।

Even after installing new electricity meters Kashmiris not getting proper electricity Ramzan govt claims seem to be failing | नई बिजली मीटर लगाने के बावजूद भी कश्मीरियों को रमजान में नहीं मिल पा रही सही से बिजली, सरकार के दावे होते दिख रहे फेल

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsरमजान के महीने में भी कश्मिरियों को सही से बिजली नहीं मिल पा रही है।ऐसे में बिजली को लेकर सरकार के दावे फेल होते दिख रहे है। स्थानियों का कहना है कि बिजली की कटौती के कारण उन्हें नमाज पढ़ने में भी काफी दिक्कत हो रही है।

जम्मू: प्रदेश प्रशासन ने इन गर्मियों में पूरे प्रदेश में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। जबकि बिजली आपूर्ति की सच्चाई यह है कि तमाम वायदों को धत्ता बताते हुए बिजली आपूर्ति अभी भी हिचकोले खा रही है।
हालत यह है कि रमजान के महीने के दौरान निर्बाध बिजली आपूर्ति के सरकार के आश्वासन पानी में उूब चुके हैं क्योंकि कश्मीर के कई इलाकों में अक्सर अंधेरा छाया रहता है और लोगों को मोमबत्ती की रोशनी में सेहरी और इफ्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

रमजान में बिजली कटौती से है स्थानीय परेशान

पत्रकारों के साथ बात करते हुए कई स्थानीय लोगों ने रमजान की शुरुआत के बाद से अपने संबंधित क्षेत्रों में बिजली कटौती की शिकायत की है। बोहरी कदल के एक बुजुर्ग व्यक्ति मोहम्मद अल्ताफ का कहना था कि बिना रोशनी के सेहरी और इफ्तार करना बहुत मुश्किल है। निर्धारित बिजली कटौती से हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन कम से कम मानवता की खातिर, सेहरी और इफ्तार के समय निर्बाध बिजली कटौती होनी चाहिए।

रमजान के शुरुआत के बाद से ही हो रही बिजली कटौती

अल्ताफ कहते थे कि अनियमित बिजली आपूर्ति से रमजान में सेहरी और इफ्तार खाना और नमाज अदा करना मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर कुत्तों के कारण लोग पहले से ही फज्र निमाज के लिए जाने से डरते हैं और बिजली की अनुपस्थिति इसे और भी बदतर बना देती है। मेरे जैसे बुजुर्ग लोग इतने घोर अंधेरे में मस्जिद कैसे जा सकते हैं। बता दें कि रमजान की शुरुआत के बाद से श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों में भी लगातार बिजली कटौती देखी जा रही है।

शहर के खानखा मुहल्ले की सारा बेगम कहती थी कि वे अपने दैनिक घरेलू कार्यों को करने के लिए रोशनी का इंतजार करती रहती हैं, खासकर सेहरी और इफ्तार के लिए खाना बनाने के लिए वे इसकी ताक में रहती है। लोगों का कहना था कि मीटर लगाने के बावजूद, हम बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं। रमजान को अंधेरे में बिताना घोर अन्याय है। 

इससे पहले केपीडीसीएल ने दावा किया था कि बिजली कटौती में कमी आई है

सरकार ने सोमवार को कहा था कि कटौती में तीन घंटे की कटौती की गई है और मार्च के अंत तक बिजली की नई समय सारिणी की घोषणा की जाएगी। इससे पहले बैठक में कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (केपीडीसीएल) के मुख्य अभियंता जावेद यूसुफ डार ने कहा था कि इस महीने की शुरुआत से बिजली कटौती में कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि मीटर वाले क्षेत्रों में तीन घंटे से भी कम समय में बिजली कटौती की जाती है।

बहुत पहले से ही कश्मीर में रमजान पर नहीं रहती है सही से बिजली

कश्मीर के ग्रामीण इलाकों से भी बिजली कटौती की शिकायतें मिली हैं। पुलवामा निवासी इस्माइल डार कहा है कि अंधेरे में फज्र और ईशा के समय में नमाज़ के लिए जाना मुश्किल है। रमजान में निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाए रखने के सरकार के बड़े दावे सिर्फ एक और झूठ है। 

वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि रमजान में कश्मीरियों को ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ रहा हो बल्कि कई सालों से बिजली के मोर्चे पर कश्मीर के हालात नहीं बदले हैं।  पुराने बिजली मीटरों का स्थान स्मार्ट मीटरों ने ले लिया पर बिजली आपूर्ति स्मार्ट नहीं हो पाई है।

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