भविष्य निधि घोटालाः अखिलेश यादव ने मांगा CM योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा, कहा- वही हैं इसके लिए जिम्मेदार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 5, 2019 05:57 PM2019-11-05T17:57:58+5:302019-11-05T17:57:58+5:30
EPF Scam: इस घोटाले को लेकर सपा और वर्तमान योगी सरकार के बीच में घमासान मचा हुआ है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि जिस घोटाले की बात अखिलेश यादव कर रहे हैं असल में उस घोटाले का दरवाजा अपनी ही सरकार में खोल चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की भविष्य निधि का गलत तरीके से निवेश किए जाने के मामले को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार (05 नवंबर) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ पर हमला बोला और उनके इस्तीफे की मांग की।
वहीं, अखिलेश ने उनके कार्यकाल के दौरान इस घोटाले का दरवाजा खुलने के लगे आरोपों का खंडन किया और बीजेपी यूपी सरकार पर पलटवार किया। उन्होंने कहा की इ़स घोटाले की जिम्मेदार सिर्फ योगी आदित्यनाथ सरकार है। इसके लिए सीएम को अपना इस्तीफा तत्काल प्रभाव से दे देना चाहिए।
इस घोटाले को लेकर सपा और वर्तमान योगी सरकार के बीच में घमासान मचा हुआ है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि जिस घोटाले की बात अखिलेश यादव कर रहे हैं असल में उस घोटाले का दरवाजा अपनी ही सरकार में खोल चुके हैं।
इसके तुरंत बाद अखिलेश ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि हमारे शासनकाल के दौरान कर्मचारियों की भविष्य निधि का एक भी पैसा डीएचएफएल में निवेश नहीं किया गया। जिस समय डीएचएफएल में पैसा निवेश किया था उस वक्त प्रदेश में हमारी सरकार नहीं थी। इस मामले में जो केस दर्ज किया गया है उसमे भी यही लिखा गया है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते होंगे कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत को हटा दिया जाए, इसी कारण मैं मुख्यमंत्री के इस्तफे कि मांग कर रहा हूं। उन्होंने आगे कहा कि इस घोटाले की जांच उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के कार्यरत जज से कराई जाए। इससे ही सच्चाई सामने आएगी। जब तक ये जांच नहीं होगी तब तक सच्चाई बाहर नहीं आ पाएगी क्योंकि सरकार सीबीआई जांच करवाकर सच्चाई छुपा रही है।
अखिलेश ने सभी बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर वे अपने पद पर बने रहेंगे तो निष्पक्ष जांच नहीं की जा सकती है। अगर योगी सरकार के विधायकों से सच्चाई पूछ ली जाए तो 300 से ज्यादा ऐसे होंगे जो उन्हें नहीं चाहते होंगे।