भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजनाः भारत- ब्रिटेन में समझौता, अंतरिक्ष में साथ काम करेंगे भारत और मंगोलिया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 8, 2020 05:33 PM2020-01-08T17:33:59+5:302020-01-08T17:33:59+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ समझौता ज्ञापन पर 2 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षए किए गए थे।

Energy plan for Indian Railways: India-UK agreement, India and Mongolia will work together in space | भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजनाः भारत- ब्रिटेन में समझौता, अंतरिक्ष में साथ काम करेंगे भारत और मंगोलिया

मंत्रिमंडल ने बाह्य अंतरिक्ष के उपयोग, खोज के लिये भारत, मंगोलिया में समझौते को मंजूरी दी।

Highlightsइस समझौता ज्ञापन के तहत दोनों देश उचित तरीके से गतिविधियों के संचालन में सहयोग करेंगे।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत और स्वीडन के बीच ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी प्रदान कर दी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारतीय रेल को ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी प्रदान की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ समझौता ज्ञापन पर 2 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षए किए गए थे।

इस समझौते के तहत दोनों पक्ष भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में उठाई जानी वाली गतिविधियों के विस्तार पर सहमत हुए हैं। दोनों में से प्रत्येक साझीदार समय-समय पर अपने देश में मौजूदा कानून, नियम, नियमन एवं राष्ट्रीय नीतियों के तहत भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे।

इसके तहत दोनों पक्ष भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजना जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र, ऊर्जा सक्षमता अभ्यासों को अपनाने, ईंधन कुशलता हासिल करने, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, बैटरी से संचालित शंटिंग लोकोमेटिव आदि पर सहमत हैं।

दोनों पक्षों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम, औद्योगिक दौरा, फिल्ड दौरा या सहयोग के किसी अन्य रूप जैसी विकास क्षमता बढ़ाने पर लिखित में मंज़ूरी दी जा सकती है। इस समझौता ज्ञापन के तहत दोनों देश उचित तरीके से गतिविधियों के संचालन में सहयोग करेंगे। इस समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो साझीदारों के बीच सहयोग की मौजूदा और भावी व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सके।

इसमें कहा गया है कि साझीदार समझौता ज्ञापन में या इसके कुछ हिस्से में बदलाव या संशोधन के लिए लिखित में आग्रह कर सकते हैं। इसमें किया गया कोई भी बदलाव संशोधित समझौता ज्ञापन का हिस्सा होगा। ये बदलाव या संशोधन साझीदारों द्वारा तय की गई तारीख से लागू माने जाएंगे।

समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद से लागू होगा और कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष को लिखित पत्राचार के जरिए समझौते को रद्द कर सकता है। ऐसे में समझौते का रद्द होना दूसरे पक्ष को लिखित में जानकारी मिलने के छह महीने बाद से लागू माना जाएगा। साझीदारों के बीच किसी भी तरह के विवाद या मतभेद आपसी विमर्श और बातचीत से सुलझाए जाएंगे। 

भारत और स्वीडन के बीच ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग समझौते को मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत और स्वीडन के बीच ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारत के भू-विज्ञान मंत्रालय और स्वीडन के शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के बीच ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग पर समझौते से अवगत कराया गया है।

इस समझौता ज्ञापन पर 2 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षर हुए थे। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारत और स्वीडन दोनों ने अंटार्कटिक संधि और पर्यावरण सुरक्षा पर अंटार्कटिक संधि के मसविदे पर हस्ताक्षर किए हैं। आठ आर्कटिक देशों में से एक स्वीडन आर्कटिक परिषद का एक सदस्य है जबकि भारत को आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है।

स्वीडन दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों आर्कटिक और अंटार्कटिक में कई वैज्ञानिक कार्यक्रम चला रहा है। इसी तरह भारत महासागरीय क्षेत्र सहित दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रम चला रहा है। ध्रुवीय विज्ञान में भारत और स्वीडन के बीच इस सहयोग से दोनों देशों को एक दूसरे की उपलब्ध विशेषज्ञता साझा करने में मदद मिलेगी।

मंत्रिमंडल ने बाह्य अंतरिक्ष के उपयोग, खोज के लिये भारत, मंगोलिया में समझौते को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और मंगोलिया के बीच समझौते को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण और असैन्‍य उद्देश्‍यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और वहां खोज पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते को मंजूरी दी।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस समझौते पर मंगोलिया के राष्‍ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान 20 सितंबर 2019 को नयी दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनों देश अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्‍वी के बारे में जानकारियां प्राप्‍त करने के लिए दूरसंवेदी प्रणाली का उपयोग, उपग्रह संचार तथा उपग्रह आधारित दिशासूचक प्रणाली, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज,अंतरिक्ष यानों, अंतरिक्ष प्रणाली तथा भू प्रणाली का उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए सहयोग कर सकेंगे।

इस उद्देश्य के लिये दोनों पक्ष एक संयुक्‍त कार्य समूह गठित कर सकेंगे जिसमें भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सदस्‍य और मंगोलिया के संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के सदस्‍य शामिल होंगे। यह कार्य समूह समझौते की व्‍यवस्‍थाएं लागू करने के तौर तरीकों और उनके लिए समय सीमा को निर्धारित करेगा।

समझौते के तहत सहयोग की गतिविधियों पर होने वाले खर्च का फैसला दोनों पक्ष उपलब्‍ध वित्‍तीय संसाधनों और आवश्‍यकताओं के अनुरूप करेंगे। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस समझौते के माध्‍यम से दोनों देश अंतरिक्ष में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए संयुक्‍त गतिविधियां संचालित कर सकेंगे जो आगे चलकर मानव जाति के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

Web Title: Energy plan for Indian Railways: India-UK agreement, India and Mongolia will work together in space

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