सिरसा, 29 अक्टूबर हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में शनिवार को होने वाले उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। विपक्षी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला की नजरें एक बार फिर इस सीट पर जीत हासिल करने पर टिकी हैं। चौटाला ने केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते इस सीट पर उपचुनाव की जरूरत पड़ी है।
उपचुनाव के लिए तीस अक्टूबर को मतदान होगा। मतगणना दो नवंबर को होगी।
हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख तथा विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा ने हाल में भाजपा का दामन थाम लिया था। वह इस सीट पर भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं।
पिछले चुनाव में अभय चौटाला से हार का सामना करने वाले पवन बेनीवाल कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। वह हाल में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे।
कृषि कानूनों के मुद्दे पर जनवरी में अभय चौटाला के इस्तीफे के कारण सिरसा जिले में पड़ने वाले इस ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव की जरूरत पड़ी। 1.85 लाख से अधिक मतदाता इस सीट पर मतदान के पात्र हैं। इनमें 98,000 से अधिक पुरुष और 86,000 महिलाएं शामिल हैं।
ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार बुधवार शाम को समाप्त हो गया और प्रचार के दौरान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का मुद्दा प्रमुख रूप से उभरा।
उपचुनाव में कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें ज्यादातर निर्दलीय हैं। हालांकि अभय चौटाला, बेनीवाल और गोबिंद कांडा को प्रमुख उम्मीदवार माना जा रहा है।
ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण है, जहां ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं।
ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 14 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें दिवंगत देवीलाल के नेतृत्व वाली पार्टी के उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं। हालांकि, इस बार चीजें थोड़ी अलग हैं क्योंकि चौटाला परिवार के कई सदस्य भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान, अभय चौटाला के बड़े भाई और जननायक जनता पार्टी (जजपा) प्रमुख अजय सिंह चौटाला, उनके बेटे और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इनेलो के पतन के लिये अभय को जिम्मेदार बताते हुए उन पर निशाना साधा।
निर्दलीय विधायक तथा ऊर्जा मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने भी अभय चौटाला के खिलाफ और भाजपा उम्मीदवार गोबिंद कांडा के पक्ष में प्रचार किया।
कांग्रेस और भाजपा ने अभय चौटाला पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि उनकी वजह से ऐलनाबाद के लोगों को चुनाव की जरूरत पड़ी।
केंद्रीय सुरक्षा बल की 30 कंपनियों, रैपिड एक्शन फोर्स की पांच कंपनियों और हरियाणा पुलिस की तैनाती के साथ उपचुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। एक कंपनी में लगभग 120 कर्मी होते हैं।
अभय चौटाला की नजर तीसरी बार उपचुनाव में जीत हासिल करने पर है। इससे पहले, उन्होंने 2000 में सिरसा जिले में रोरी विधानसभा सीट और 2010 में ऐलनाबाद से उपचुनाव जीता था।
इसके बाद 2014 में हुए चुनाव में भी उन्हें जीत मिली। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें इस सीट से जीत हासिल हुई और वह विधानसभा में जाने वाले इनेलो के एकमात्र विधायक थे।
अभय चौटाला के लिए शनिवार का उपचुनाव जीतना महत्वपूर्ण है क्योंकि हार इनेलो के लिए एक बड़ा झटका होगी, जो हाल के वर्षों में सिलसिलेवार चुनावी असफलताओं से जूझ रही है।
इस उपचुनाव में जहां केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है, वहीं कुछ गांवों में सिंचाई सुविधाओं की कमी और कुछ क्षेत्रों में जलभराव की समस्या जैसे कुछ कारक भी उपचुनाव में भूमिका निभा सकते हैं।
हरियाणा में एक साल में दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है। पिछले साल नवंबर में, बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के उम्मीदवार इंदुराज नरवाल ने भाजपा उम्मीदवार तथा ओलंपियन पहलवान योगेश्वर दत्त को हराया था।
सोनीपत जिले की बरोदा सीट कांग्रेस विधायक श्री कृष्ण हुड्डा के निधन के बाद खाली हुई थी।
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