एल्गार परिषद मामलाः सुधा भारद्वाज ने कहा-पुणे के न्यायाधीश ने विशेष न्यायाधीश होने का 'दिखावा' कर नहीं दी जमानत

By अभिषेक पारीक | Updated: July 6, 2021 20:57 IST2021-07-06T20:53:50+5:302021-07-06T20:57:58+5:30

सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के जरिए बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि 2018 में उनकी गिरफ्तारी के बाद जिस न्यायाधीश ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का 'दिखावा' किया था।

Elgar Parishad case: Sudha Bharadwaj said that the judge of Pune did not give bail by 'pretending' to be a special judge | एल्गार परिषद मामलाः सुधा भारद्वाज ने कहा-पुणे के न्यायाधीश ने विशेष न्यायाधीश होने का 'दिखावा' कर नहीं दी जमानत

सुधा भारद्वाज । (फाइल फोटो )

Highlightsसुधा भारद्वाज ने कहा कि हिरासत में भेजने वाले न्यायाशीश ने विशेष न्यायाधीश होने का दावा किया था। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में सुधा भारद्वाज ने बंबई हाईकोर्ट को बताया है। एनआईए ने जमानत याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वे अर्जी दाखिल करने की होड़ में हैं। 

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के जरिए बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि 2018 में उनकी गिरफ्तारी के बाद जिस न्यायाधीश ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का 'दिखावा' किया था और उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। भारद्वाज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील युग चौधरी ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ के समक्ष याचिका पर अंतिम दलीलें दीं। 

बहरहाल, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उच्च न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में भारद्वाज की जमानत याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह एक के बाद एक जमानत अर्जी दाखिल करने की 'होड़' में हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि भारद्वाज की याचिका विचार योग्य नहीं है और उनपर इसके लिए जुर्माना लगाने का अनुरोध किया। 

चौधरी ने उच्च न्यायालय को बताया कि पुणे में एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के डी वडाने ने भारद्वाज और आठ अन्य कार्यकर्ताओं को 2018 में पुणे पुलिस की हिरासत में भेज दिया था। वडाने ने बाद में मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पुणे पुलिस को समय का विस्तार देते हुए आरोपपत्र का संज्ञान लिया और अक्टूबर 2018 में भारद्वाज और तीन अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। 

चौधरी ने उच्च न्यायालय को बताया कि उपरोक्त सभी कार्यवाही पर आदेश पारित करते हुए, वडाने ने 'विशेष यूएपीए न्यायाधीश' होने का दावा किया था और विशेष यूएपीए न्यायाधीश के रूप में आदेशों पर हस्ताक्षर किए थे। चौधरी ने कहा कि उनके पास महाराष्ट्र सरकार और उच्च न्यायालय द्वारा भारद्वाज के सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवालों के जवाब हैं, जिसमें कहा गया है कि वडाने को कभी भी किसी कानूनी प्रावधान के तहत विशेष न्यायाधीश के रूप में नामित नहीं किया गया था। भारद्वाज ने अपनी याचिका में न्यायाधीश वडाने द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने और प्रक्रिया जारी करने के लिए समय बढ़ाने के आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया है। एनआईए ने कहा, 'याचिकाकर्ता (भारद्वाज) जमानत प्राप्त करने के उद्देश्य से याचिका दाखिल करने की होड़ में हैं।'

Web Title: Elgar Parishad case: Sudha Bharadwaj said that the judge of Pune did not give bail by 'pretending' to be a special judge

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