‘विवादित क्षेत्रों’ में चुनाव : आंध्र प्रदेश के हलफनामे पर जवाब के लिए ओडिशा को चार हफ्ते का समय

By भाषा | Published: February 19, 2021 04:02 PM2021-02-19T16:02:00+5:302021-02-19T16:02:00+5:30

Election in 'disputed areas': four weeks to Odisha for reply on Andhra Pradesh affidavit | ‘विवादित क्षेत्रों’ में चुनाव : आंध्र प्रदेश के हलफनामे पर जवाब के लिए ओडिशा को चार हफ्ते का समय

‘विवादित क्षेत्रों’ में चुनाव : आंध्र प्रदेश के हलफनामे पर जवाब के लिए ओडिशा को चार हफ्ते का समय

नयी दिल्ली, 19 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा को आंध्र प्रदेश सरकार के हलफनामे पर जवाब देने के लिए शुक्रवार को चार सप्ताह का समय दिया। आंध्र प्रदेश ने यह हलफनामा तीन ‘‘विवादित क्षेत्रों’’ में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने को लेकर आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ओडिशा सरकार की अवमानना याचिका पर दायर किया है।

आंध्र प्रदेश द्वारा उन विवादित क्षेत्रों में 13 फरवरी को पंचायत चुनाव कराये गए थे, जिस पर ओडिशा स्वामित्व का दावा करता है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह के इस अनुरोध पर गौर किया कि ओडिशा को आंध्र प्रदेश सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया जाए।

आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया कि ‘शपथपत्र’ या उसके निर्देश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और वह अपने स्वयं के क्षेत्रों का ही प्रशासन कर रहा है तथा ओडिशा के क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं किया है।

नवीन पटनायक सरकार ने विवादित क्षेत्र के संबंध में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर आंध्र प्रदेश की अधिसूचना को चुनौती दी है और कहा है कि अधिसूचना ओडिशा के क्षेत्र के अतिक्रमण के बराबर है।

आंध्र प्रदेश के साथ 21 गांवों पर क्षेत्रीय अधिकार के विवाद को लेकर प्रथम यथास्थिति आदेश के पांच दशक से अधिक समय बाद, ओडिशा ने अपने तीन गांवों में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने को लेकर आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के अनुरोध के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

कोटिया समूह के गांव के तौर पर जाने जाने वाले 21 से अधिक गांवों पर क्षेत्रीय अधिकार को लेकर विवाद पहली बार 1968 में शीर्ष अदालत के समक्ष आया था, जब ओडिशा ने 1 दिसंबर, 1920, 8 अक्टूबर, 1923 और 15 अक्टूबर, 1927 को जारी तीन अधिसूचनाओं के आधार पर दावा किया था कि आंध्र प्रदेश ने अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र में अवैध तरीके से प्रवेश किया है।

ओडिशा द्वारा दायर वाद के लंबित रहने के दौरान शीर्ष अदालत ने दो दिसम्बर 1968 को दोनों राज्यों को मामले के निस्तारण होने तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

ओडिशा द्वारा अनुच्छेद 131 के तहत दायर मुकदमे को अंततः 30 मार्च, 2006 को शीर्ष अदालत ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था और दोनों राज्यों की सहमति से यह निर्देश दिया था कि विवाद के हल होने तक यथास्थिति बनाए रखी जाए।

अब, ओडिशा सरकार ने आंध्र प्रदेश के तीन वरिष्ठ अधिकारियों -मुदे हरि जवाहरलाल, कलेक्टर विजयनगरम जिला, आदित्यनाथ दास, आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव और एन रमेश कुमार, आंध्र प्रदेश के राज्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई का अनुरोध किया है।

अर्जी में कहा गया है कि जवाहरलाल ने दास और कुमार के साथ मिलकर जो अधिसूचना जारी की है वह इस अदालत के आदेश के जानबूझकर उल्लंघन की कीमत पर याचिकाकर्ता राज्य के क्षेत्र में परोक्ष तौर पर अतिक्रमण है।

इसमें कहा गया है कि इसलिए अधिकारियों को यह समझाने के लिए बुलाया जाना चाहिए कि उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न की जाए और उन्हें उचित सजा न दी जाए।

ओडिशा सरकार ने आंध्र प्रदेश के तीन अधिकारियों को यह नोटिस जारी किये जाने का अनुरोध किया है कि 2 दिसंबर, 1968 और 30 मार्च, 2006 के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए, जो अदालत द्वारा मूल मुकदमे में पारित किए गए थे।

ओडिशा सरकार ने दावा किया है कि प्रशासनिक रूप से और अन्यथा, इन गांवों पर उसका नियंत्रण रहा है लेकिन ये व्यक्ति गुप्त रूप से अवमानना ​​के कृत्य में लिप्त हुए, जिससे इस अदालत के आदेश का उल्लंघन हुआ है।

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Web Title: Election in 'disputed areas': four weeks to Odisha for reply on Andhra Pradesh affidavit

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