पटना: नेपाल द्वारा संसद से नेपाल का नवीन मानचित्र पास किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा बताया है. लेकिन उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों की सीमा पर पश्चिमी चंपारण ज़िलों के पास अवस्थित ‘सुस्ता क्षेत्र’ को भी नेपाल द्वारा अपने नवीन मानचित्र में शामिल किये जाने की ख़बर है.
जानकार बताते हैं कि भारतीय क्षेत्र में नेपाली नागरिकों द्वारा पुल बनवाया जा रहा था, जिसपर रोक लगाई गई है. यहां बता दें कि सुस्ता को विवादित क्षेत्र माना जाता है जिसका फायदा नेपाली नागरिक उठाते हैं.
हालांकि, जिस जमीन पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है, वह बिहार सरकार की गैरमजरूआ जमीन है. पर नेपाल का दावा है कि भारत ने इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है तथा भारत को इस क्षेत्र को तुरंत खाली करना देना चाहिये.
तीस्ता क्षेत्र बिहार में 'वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व' की उत्तरी सीमा पर अवस्थित एक गांव है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत अर्द्ध-सैनिक पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल की एक इकाई इस क्षेत्र में तैनात है.
सुस्ता क्षेत्र के लोग खुद को नेपाल से संबंधित मानते हैं-
सुस्ता क्षेत्र में 265 से अधिक परिवार निवास करते हैं तथा खुद को नेपाल से संबंधित मानते हैं. विवाद का मूल कारण गंडक नदी के बदलते मार्ग को माना जाता है. गंडक नदी नेपाल और बिहार के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है.
गंडक नदी को नेपाल में नारायणी नदी के रूप में जाना जाता है. नेपाल का मानना है कि पूर्व में सुस्ता क्षेत्र गंडक नदी के दाएँ किनारे अवस्थित था, जो नेपाल का हिस्सा था. लेकिन समय के साथ नदी के मार्ग में परिवर्तन के कारण यह क्षेत्र वर्तमान में गंडक के बाएं किनारे पर अवस्थित है.
वर्तमान में इस क्षेत्र को भारत द्वारा नियंत्रित किया जाता है. भारत-नेपाल बॉर्डर पर सुस्ता में नेपाल की ओर से बनाए जानेवाले पुल पर एसएसबी ने रोक लगा दी है. ढाई किलोमीटर लंबे इस पुल निर्माण को लेकर नेपाल ने निर्माण सामग्री गिराने के साथ निर्माण भी शुरू कर दिया था. जानकारी मिलने पर एसएसबी व पश्चिमी चंपारण जिला प्रशासन ने इस पर तत्काल रोक लगा दी है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पश्चिमी चंपारण के डीएम लोकेश कुमार ने वाल्मीकिनगर के सीओ को बगैर मापी के भारतीय जमीन पर किसी तरह के अतिक्रमण नहीं होने देने की जिम्मेदारी सौंपी है. एसएसबी डीआईजी की पहल के बाद पश्चिमी चंपारण डीएम ने राज्य सरकार को पूरे मामले से अवगत करा दिया है. जबकि, एसएसबी ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है.
सुस्ता में नदी की धार बदलने से भारत-नेपाल में जमीन को लेकर दो दशकों से मामला फंसा है
बताया जाता है कि पिछले साल वन विभाग की ओर से साढ़े 4 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के दौरान नेपाल ने रोक लगा दी थी. उसी वजह से भारतीयभूभाग के वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत चकदावां में सड़क निर्माण अधूरा रह गया. सुस्ता में नदी की धार बदलने से भारत-नेपाल में जमीन को लेकर दो दशकों से मामला फंसा है.
जानकार बताते हैं कि उच्चाधिकारियों के बीच तय हुआ कि सर्वे ऑफ इंडिया व सर्वे ऑफ नेपाल मिल कर जमीन के विवाद सुलझाएंगे. उच्चाधिकारियों के बीच तय हुआ कि सर्वे ऑफ इंडिया व सर्वे ऑफ नेपाल मिल कर जमीन के विवाद सुलझाएंगे. तब तक नो मेंस लैंड के दोनों तरफ 10-10 मीटर में भारत-नेपाल की ओर से कोई निर्माण कार्य अथवा अन्य गतिविधि नहीं की जाएगी.
इसके साथ ही, जानकार बताते हैं कि सुस्ता पर विवाद की वजह है गंडक नदी, जो अपनी धार बदलने के साथ-साथ विवादों को उकसाती रही है. मार्च 1816 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और नेपाल के बीच हुए समझौते के मुताबिक, गंडक नदी की धार को भारत और नेपाल की सीमा माने जाने पर सहमति बनी थी. तब यह तय किया गया कि यहां बहने वाली गंडक नदी के दाहिनी तरफ़ की ज़मीन भारत की होगी और बायीं तरफ़ की ज़मीन नेपाल की.
इसे लेकर सीमा के आर-पार एक बार फिर तनाव पैदा हो गया है. दरअसल दोनों देशों के बीच के विवादित भू-भाग 'सुस्ता' के समीप दुलहनिया नाले पर नेपाली नागरिकों द्वारा पुल बनाने के बाद से मामला फिर गरमा गया है. बता दें कि सुस्ता को भारत-नेपाल के बीच विवादित क्षेत्र माना जाता है.
यहां 'दुल्हनिया नाला' पर दो वर्ष पहले नेपाली नागरिकों ने पुलिया बनाने की कोशिश की थी. तब भारतीय ग्रामीणों ने एकजुट होकर उन्हें रोक दिया था. उस वक्त मुस्तैदी नहीं दिखाई और पाइप नाले में ही रह गया. इसी पाइप पर कुछ अरसा पूर्व नेपाली नागरिकों के द्वारा मिट्टी डाल कर पुलिया निर्माण कर लिया गया है.
पुलिया के निर्माण से नेपाल सीमा के कई गांव वाल्मीकिनगर-बगहा मुख्य पथ से सीधे जुड़ जाएंगे. इसके साथ ही वीटीआर के जंगल का बड़ा हिस्सा भी नेपाली अतिक्रमणकारियों के निशाने पर आ जाएगा. फिर सीमा को लेकर चल रहा विवाद कम होने के बजाय और बढ़ जाएगा. निर्माण से नेपाली वन तस्करों की सक्रियता बढ़ऩे की पूरी आशंका है.
नेपाल से लगती सीमा पर स्थित सुस्ता का भविष्य अब केंद्र सरकार की नीति व नेपाल सरकार की नीति पर जा टिकी है. कारण, सीमा के दोनों ओर सुस्ता एक भावोत्तेजक मसला बन चुका है. एक ओर अस्थिर गंडक के कोख से पनपी सुस्ता पर कब्जा बरकरार रखने को नेपाल की ओर से हर-हाल में बहाल रखने की कड़ी जद्दोजहद की जा रही है. वहीं भारतीय पक्ष क्या रुख अख्तियार करता है इसका इंतजार है.