सोनिया गांधी की बढ़ती सक्रियता से नीतीश के मंशा पर फिर सकता है पानी, विपक्षी एकता का नेतृत्व जाएगा कांग्रेस के हाथ

By एस पी सिन्हा | Updated: July 16, 2023 16:17 IST2023-07-16T16:15:25+5:302023-07-16T16:17:21+5:30

विपक्षी एकता की पहल अब कांग्रेस के नियंत्रण में जाती दिख रही हैं। ऐसे में विपक्षी एकता का नेतृत्व करने की नीतीश की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है।

Due to the increasing activism of Sonia Gandhi, water can turn on Nitish's intention, the leadership of opposition unity will be in the hands of Congress | सोनिया गांधी की बढ़ती सक्रियता से नीतीश के मंशा पर फिर सकता है पानी, विपक्षी एकता का नेतृत्व जाएगा कांग्रेस के हाथ

सोनिया गांधी की बढ़ती सक्रियता से नीतीश के मंशा पर फिर सकता है पानी, विपक्षी एकता का नेतृत्व जाएगा कांग्रेस के हाथ

Highlightsनीतीश कुमार के द्वारा शुरू की गई विपक्षी एकता की पहल अब कांग्रेस के नियंत्रण में जाती दिख रही हैं ऐसे में विपक्षी एकता का नेतृत्व करने की नीतीश की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा हैकहा जा रहा है बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता की महाजुटान का नेतृत्व सोनिया गांधी करने वाली हैं

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा शुरू की गई विपक्षी एकता की पहल अब कांग्रेस के नियंत्रण में जाती दिख रही हैं। ऐसे में विपक्षी एकता का नेतृत्व करने की नीतीश की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है। कहा जा रहा है कि 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता की महाजुटान का नेतृत्व सोनिया गांधी करने वाली हैं। 

इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू यादव समेत कई दलों के नेता शामिल होंगे। ऐसे में सोनिया गांधी के अचानक से बैठक का नेतृत्व करने के निर्णय के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस फिर से यूपीए को मजबूत करने की तैयारी में जुट गई है। वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र में रही प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में यूपीए का कुशल नेतृत्व सोनिया गांधी ने किया था। 

अब एक बार फिर से कांग्रेस चाहती है कि यूपीए को मजबूत किया जाए। इसमें सोनिया गांधी की उपस्थिति के बहाने विपक्षी दलों को एक संदेश देने की कोशिश की जा सकती है कि विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस तैयार है। जानकारों के अनुसार सोनिया गांधी को कांग्रेस द्वारा आगे करने के पीछे एक बड़ी वजह है। 

दरअसल, विपक्ष के कई नेता राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने में असहज महसूस कर हैं। चाहे वह ममता बनर्जी हों या शरद पवार, लालू यादव हों या एमके स्टालिन, नीतीश कुमार हों या अरविंद केजरीवाल। इन नेताओं ने राहुल गांधी की तुलना में खुद का ज्यादा राजनीतिक कद बढ़ाया है। ऐसे में राहुल गांधी के मुकाबले वे सोनिया गांधी के सामने ज्यादा सहज रह पाते हैं और कांग्रेस इस बात को जानती है। 

शायद यही वजह है कि कांग्रेस ने सोनिया गांधी को आगे करने का बड़ा दाव खेला है। ऐसे में यह चर्चा का विषय बन गया है कि अचानक से कांग्रेस के द्वारा विपक्षी एकता का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिए जाने को नीतीश कुमार कितना स्वीकार कर पाते हैं? उल्लेखनीय है विपक्ष को साथ लाने की पहली बड़ी पहल नीतीश ने की थी। चर्चा चली की नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनना चाहते हैं। 

नीतीश के ही प्रयास से ही विपक्षी एकता का पहला जुटान 23 जून को पटना में हुआ। इसे नीतीश की बड़ी सफलता मानी गई। इसी वजह से कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाकर विपक्षी एकता की बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन अब सोनिया गांधी की सक्रियता से संभव है कि नीतीश के बदले विपक्ष के केंद्र में फिर से कांग्रेस आ जाए। 
 

Web Title: Due to the increasing activism of Sonia Gandhi, water can turn on Nitish's intention, the leadership of opposition unity will be in the hands of Congress

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