लाइव न्यूज़ :

लॉकडाउन होने के कारण वेतन अटकने से दिल्ली में प्रवासियों को हो रही है दिक्कत, कम खाना खा कर गुजार रहे दिन

By भाषा | Updated: April 5, 2020 16:55 IST

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये सरकार ने जब लॉकडाउन घोषित किया तो घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली ममता ने बिहार स्थित अपने गांव नहीं जाने का फैसला किया था लेकिन अब उसे इस पर अफसोस है।

Open in App
ठळक मुद्दे लॉकडाउन के कारण दूसरों के घरों में काम करने वाली महिलाओं को दिक्कत हो रही है।अपने काम के पैसे भी लेने नहीं जा पा रही हैं और ना ही कोई पैसे लाकर दे पा रहा है।

 नई दिल्ली, भाषा. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये सरकार ने जब लॉकडाउन घोषित किया तो घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली ममता ने बिहार स्थित अपने गांव नहीं जाने का फैसला किया था लेकिन अब उसे इस पर अफसोस है। पेशे से माली भीम सिंह भी परेशान हैं, वह पाबंदी के कारण अपना वेतन नहीं ले पा रहे और उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है। ये दर्द है उन प्रवासी कामगारों का जो अपनी आजीविका के लिये राष्ट्रीय राजधानी में ही रुक गए थे। देश भर में बंद लागू है और उनकी शिकायत है कि उन्हें उन हाई-प्रोफाइल सोसाइटी से दूर किया जा रहा है जहां वे काम करते थे। सरकार द्वारा 24 मार्च को घोषित किये गए बंद के बाद से ही बेहद कम खाना खाकर किसी तरह गुजारा कर रही ममता (57) को लगा था कि वह जल्द ही फिर से नोएडा की सोसाइटी में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने लगेगी और यही सोचकर वह बिहार के दरभंगा जिले स्थित अपने पैतृक गांव नहीं गई।

ममता की उम्मीदों पर हालांकि जल्द ही पानी फिर गया क्योंकि वह जब-जब काम पर जाने के लिये घर से बाहर निकलती पुलिस उसे रोक देती और वापस घर भेज देती। उन्होंने कहा, “मुझे डांटा गया और डंडा दिखाते हुए कहा गया कि मैं अपनी और दूसरों की जिंदगी जोखिम में डाल रही हूं।” ममता ने कहा, “मैं एक अप्रैल का इंतजार कर रही थी और सोच रही थी कि कम से कम अपनी तनख्वाह तो ले सकूंगी, लेकिन यह भी न हो सका। मुझे वापस भेज दिया गया।” उन्होंने कहा, “हम अपने नियोक्ताओं तक नहीं पहुंच पा रहे, न ही वे हमारा वेतन देने हमारे मुहल्ले तक आ पा रहे हैं। मेरा कोई बैंक खाता भी नहीं है।” पूछे जाने पर ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने कहा कि वे सिर्फ आदेशों का पालन कर रहे हैं और घरेलू सहायिकाएं ‘आवश्यक सेवाओं’ की सूची में शामिल नहीं हैं।

उसने कहा, “हम उन्हें कैसे जाने दें? अगर वो सड़क पर घूमती मिलीं तो हमारी फजीहत होगी।” एक अन्य घरेलू सहायिका मेघा ने कहा कि जब वह अपना मासिक वेतन मांगने गई तो उसे वापस जाने के लिये कह दिया गया। उसने कहा, “हम सभी को बीमारी का जोखिम है, लेकिन ऐसे मौकों पर भी गरीब लोगों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार होता है।” पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर की रहने वाले मेघा को भी अब दिल्ली से नहीं जाने का अफसोस हो रहा है। उसने पछतावा जताते हुए कहा, “मेरे गांव में कम से कम पैसा उधार देने के लिये हमारे रिश्तेदार थे। यहां हमारे मुहल्ले में किसी के पास पैसा नहीं है, तो हमें उधार कौन देगा?” बंद की घोषणा होते ही देश भर में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार बड़े शहरों से अपने पैतृक स्थानों की और रवाना हो गए थे।

परिवहन के साधनों के अभाव में उनमें से बहुतों को कई-कई किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा था। भीम सिंह ने कहा, वह अक्सर सोचते हैं कि अगर वह अपने पैतृक गांव पहुंच गये होते तो उनकी मुश्किलें खत्म हो गई होतीं। उन्होंने कहा, “अभी तो यह रोज का संघर्ष है।” प्रवासी कामगारों के अधिकारों से जुड़े संगठनों का मानना है कि सरकार को कुछ उपाय करना चाहिए जिससे उनका वेतन नहीं अटके। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की सचिव और अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने कहा कि सरकार को इन्हें मान्यता देनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग जहां हैं वहीं उनके पास राशन और रकम पहुंचे। उनसे कहीं जाकर यह लेने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने कहा कि चीजों की योजना पहले तैयार की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “सहायक कर्मियों के पास इतनी बचत नहीं होती कि वे काम चला सकें।

टॅग्स :कोरोना वायरसबिहार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

क्राइम अलर्टप्रेम करती हो तो चलो शादी कर ले, प्रस्ताव रखा तो किया इनकार, प्रेमी कृष्णा ने प्रेमिका सोनू को उड़ाया, बिहार के भोजपुर से अरेस्ट

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण