कोरोना का कहर, जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार ‘शहीद दिवस’ पर नहीं हुआ कार्यक्रम

By भाषा | Published: July 13, 2020 06:32 PM2020-07-13T18:32:49+5:302020-07-13T18:32:49+5:30

कोरोना के कहर का असर हर जगह पड़ने लगा है, 13 जुलाई को मनाए जाने वाले ‘शहीद दिवस’ के उपलक्ष्य में इस बार कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं किया गया। जम्मु-कश्मीर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।

due to Corona havoc first time in the history of Jammu and Kashmir no event on Martyr's Day | कोरोना का कहर, जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार ‘शहीद दिवस’ पर नहीं हुआ कार्यक्रम

जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार ‘शहीद दिवस’ पर नहीं हुआ कोई आधिकारिक कार्यक्रम

Highlightsजम्मू कश्मीर में 13 जुलाई को मनाए जाने वाले ‘शहीद दिवस’ के उपलक्ष्य में इस बार कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं हुआ।वर्ष 1931 में डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के सैनिकों की गोलीबारी में मारे जाने वालों की याद में हर साल इस दिवस का आयोजन किया जाता है।

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में 13 जुलाई को मनाए जाने वाले ‘शहीद दिवस’ के उपलक्ष्य में इस बार कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं हुआ। वर्ष 1931 में डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के सैनिकों की गोलीबारी में मारे जाने वालों की याद में हर साल इस दिवस का आयोजन किया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि राजपत्रित अवकाश से 13 जुलाई को हटा दिए जाने के कारण शहीदों के कब्रिस्तान में कोई समारोह नहीं हुआ ।

पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पांच दिसंबर को जयंती के साथ ही 13 जुलाई की छुट्टियों को इससे हटा दिया गया था । शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1948 में 13 जुलाई को छुट्टी का प्रावधान किया था ।

शहीदों के कब्रिस्तान में आधिकारिक कार्यक्रम के अलावा मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के नेता भी श्रद्धांजलि देने के लिए वहां जाते थे। महाराजा हरि सिंह के निरंकुश शासन के विरोध के दौरान डोगरा सेना की गोलीबारी में 22 कश्मीरी मारे गए थे । अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए कश्मीर के अधिकतर हिस्से में लागू कड़े पावधानों के चलते सोमवार को मुख्यधारा का कोई भी नेता वहां नहीं पहुंचा। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने सोमवार को हड़ताल का आह्वान किया था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक नेता ने कहा कि शहीदों के कब्रिस्तान जाने की अनुमति मांगी गयी थी लेकिन जिला प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिला । बहरहाल, जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय शक्तियों- नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी ।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह दिन जम्मू कश्मीर की पहचान और यहां के लोगों के अधिकार को मनाने का दिन है । नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ‘‘यह दिन दमन करने वालों के खिलाफ सामूहिक प्रतिकार का दिन है।’’ पीडीपी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर की आजादी के संघर्ष में शहीदों की भूमिका को कभी नहीं भुलाया जा सकता ।

Web Title: due to Corona havoc first time in the history of Jammu and Kashmir no event on Martyr's Day

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