नौसेना को मिली दुश्मन के रडार सिग्नल को जाम करने वाली तकनीक, भारतीय युद्धपोतों का पता लगाना अब आसान नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 26, 2024 21:47 IST2024-06-26T21:46:34+5:302024-06-26T21:47:44+5:30

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया।

DRDO transferred specific technology capable of disrupting enemy radar signals Indian Navy | नौसेना को मिली दुश्मन के रडार सिग्नल को जाम करने वाली तकनीक, भारतीय युद्धपोतों का पता लगाना अब आसान नहीं

(फाइल फोटो)

Highlightsनौसेना को मिली दुश्मन के रडार सिग्नल को जाम करने वाली तकनीकरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित कीयह पोतों के चारों ओर सूक्ष्म तरंगों का सुरक्षा आवरण बना देती है

नयी दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुश्मन के रडार सिग्नल को बाधित करने में सक्षम विशिष्ट प्रौद्योगिकी बुधवार को भारतीय नौसेना को हस्तांतरित की। यह प्रौद्योगिकी दुश्मन के रडार सिग्लन को कुंद कर देती है और सैन्य परिसंपत्तियों एवं पोतों के चारों ओर सूक्ष्म तरंगों का सुरक्षा आवरण बना देती है जिससे उनका पता लगाने की आशंका कम हो जाती है। 

डीआरडीओ ने नयी दिल्ली में आयोजित समारोह में ‘मीडियम रेंज-माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट’ (एमआर-एमओसीआर) को भारतीय नौसेना को सौंपा। रक्षा मंत्रालय ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा, "माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट विशिष्ट प्रौद्योगिकी है जिसे डीआरडीओ की जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला ने विकसित किया है। यह रडार सिग्नल को बाधित कर पोत और सैन्य परिसंपत्तियों के आसपास सूक्ष्म तरंगों का सुरक्षा आवरण बनाती है जिससे रडार से उनका पता लगाने का खतरा कम हो जाता है।" 

विज्ञप्ति के मुताबिक, इस मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट में कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों के साथ विशेष प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इस रॉकेट को दागे जाने पर यह पर्याप्त समय के लिए पर्याप्त क्षेत्र में फैले अंतरिक्ष में माइक्रोवेव का बादल बनाता है और इस प्रकार रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले शत्रु के रडार के खतरों के विरुद्ध एक प्रभावी सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने एमआर-एमओसीआर को भारतीय नौसेना के नौसैन्य आयुध निरीक्षण महानिदेशक रियर एडमिरल बृजेश वशिष्ठ को सौंपा। 

डीआरडीओ के अध्यक्ष ने रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर की टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी। नौसैन्य आयुध निरीक्षण महानिदेशक ने भी कम समय में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की। 

(इनपुट- भाषा)

Web Title: DRDO transferred specific technology capable of disrupting enemy radar signals Indian Navy

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