घरेलू हिंसा वर्ष 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए गंभीर चिंता का विषय बना रहा

By भाषा | Updated: December 25, 2020 16:51 IST2020-12-25T16:51:09+5:302020-12-25T16:51:09+5:30

Domestic violence remained a matter of serious concern for the Ministry of Women and Child Development in the year 2020 | घरेलू हिंसा वर्ष 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए गंभीर चिंता का विषय बना रहा

घरेलू हिंसा वर्ष 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए गंभीर चिंता का विषय बना रहा

(उज़मी अतहर)

नयी दिल्ली, 25 दिसम्बर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा वर्ष 2020 में चिंता का प्रमुख कारण बना रहा। इस वर्ष इस तरह की पांच हजार से अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को मार्च में घरेलू हिंसा की अधिक शिकायतें मिली और उस समय कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। इस तरह महिलाओं को अपने साथ दुर्व्यवहार करने वालों के साथ घरों में ही रहने को मजबूर होना पड़ा।

महीनों के दौरान शिकायतों की संख्या बढ़ती चली गई और जुलाई में ऐसी शिकायतों की संख्या 660 हो गई। वर्ष 2020 में एनसीडब्ल्यू को घरेलू हिंसा की पांच हजार से अधिक शिकायतें मिली।

एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने आर्थिक असुरक्षा, वित्तीय अस्थिरता और अन्यों से देरी जैसे कारकों को शिकायतों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘घरेलू हिंसा के पीड़ितों को उनकी नियमित सहायता प्रणालियों तक पहुंच नहीं होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भारत में कोविड-19 लॉकडाउन ने घरेलू हिंसा मामलों के बारे में रिपोर्ट दर्ज कराने के मौकों को कम किया।’’

उन्होंने कहा कि एनसीडब्ल्यू ने घरेलू हिंसा की शिकायतों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए लॉकडाउन के दौरान आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर की शुरूआत की।

उनके अनुसार एनसीडब्ल्यू के ‘ऑडियो-विजुअल मीडिया आउटरीच’ कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता पैदा करना और महिलाओं को विभिन्न हेल्पलाइन और संस्थागत समर्थन के माध्यम से सरकार से संपर्क करने के लिए अवगत कराना है।

बच्चों के लिए वर्ष 2020 कैसा रहा है, इस बारे में बात करते हुए, सर्वोच्च बाल अधिकार संस्था राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि देश में बच्चों के लिए शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने बच्चों को ऑनलाइन तरीके से शिक्षित करने की आदत नहीं थी लेकिन जब कोविड-19 आया तो यह हमारे लिए एक चुनौती थी। हालांकि, हमने अलग-अलग तरीकों से इससे निपटने का प्रयास शुरू कर दिया है और अब स्थिति में सुधार हो रहा है। हम यह सुनिश्चित करने में सफल रहे कि बच्चे अपने स्कूलों के संपर्क में रहें चाहे वह निजी हो या सरकारी स्कूल।’’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘शिक्षकों और आंगनवाड़ियों द्वारा निभाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बच्चों के घरों तक दोपहर का भोजन वितरित करना था और उन्होंने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है।’’

महामारी के कारण स्कूली बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि होने की आशंकाओं पर कानूनगो ने कहा, ‘‘स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले ऐसी आशंका होना ‘‘सही नहीं’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार स्कूल जब फिर से खुल जायेंगे तो हम बच्चों को स्कूलों में लेकर आयेंगे। वास्तव में ऑनलाइन शिक्षा ने सभी बच्चों को स्कूलों के संपर्क में रखा है।’’

दिसंबर में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -पांच ने एक गंभीर परिदृश्य पेश किया जिसके अनुसार 2015-16 से 2019-20 में बच्चों में कुपोषण बढ़ गया।

मंत्रालय के लिए बच्चों के खिलाफ अपराध एक और चिंता का विषय रहा है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संसद को सूचित किया था कि एक मार्च से 18 सितंबर तक बाल पोर्नोग्राफी, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की कुल 13,244 शिकायतें दर्ज की गईं।

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Web Title: Domestic violence remained a matter of serious concern for the Ministry of Women and Child Development in the year 2020

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