"क्या देश में मुसलमानों के प्रति फैली नफरत से इसका कोई संबंध है?, विदेश मंत्री जवाब दें", फारूक अब्दुल्ला ने मालदीव पोस्ट विवाद पर कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 10, 2024 07:55 AM2024-01-10T07:55:06+5:302024-01-10T07:58:54+5:30
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा की अशोभनीय टिप्पणियों के विवाद में एक नई सोच को जन्म देने का प्रयास किया है।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा की अशोभनीय टिप्पणियों के विवाद में एक नई सोच को जन्म देने का प्रयास किया है।
फारूक अब्दुल्ला ने बीते मंगलवार को एक सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या देश में मुसलमानों के प्रति 'बढ़ती नफरत' का इससे कुछ लेना-देना हो सकता है?
समाचार एजेंसी एएनआई के बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "यह देखते हुए कि दिल्ली पिछले वर्षों में द्वीप देश के साथ कैसे खड़ी रही और यहां तक कि भारत ने मालदीव को एक विदेशी शक्ति द्वारा कब्जा करने से भी बचाया फिर आखिर क्या वजह है कि मालदीव के नेताओं ने ऐसी विवादित प्रतिक्रिया दी।"
उन्होंने कहा, "भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है। जब देश पर किसी विदेशी शक्ति द्वारा कब्जा किए जाने का खतरा था तो हमारी सेनाएं वहां गईं। अपने लोगों को बचाया और उनकी जमीन का एक इंच भी कब्जा नहीं होने दिया। इसलिए मैं एक दूसरी स्थिति से चीजों को देखना चाहता हूं।"
अब्दुल्ला ने आगे कहा, "आखिर समझ नहीं आ रहा कि यह विवाद किस वजह से हुआ। क्या देश में मुसलमानों के प्रति बढ़ती नफरत का इससे कोई लेना-देना है? अब इसका जवाब तो केवल विदेश मंत्री ही दे सकते हैं।''
उन्होंने कहा, "हिंद महासागर क्षेत्र और भारतीय उपमहाद्वीप में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। यह न केवल मालदीव बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है। हमारी सरकार बातचीत के माध्यम से मामलों को सुलझाने की कोशिश कर रही है लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली है।"
लोकसभा सांसद ने कहा, "इसे केवल तभी हासिल किया जा सकता है, जब चीन सही इरादा दिखाए। भारत और चीन वैसे ही दोस्त हो सकते हैं जैसे वे पहले हुआ करते थे। जैसे चीन ने जवाहरलाल नेहरू के समय में पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किया था।''
इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार ने पीएम मोदी का समर्थन करते हुए कहा कि किसी दूसरे देश में जिम्मेदार सार्वजनिक पद पर बैठे नेता के लिए उनके खिलाफ ऐसी टिप्पणी करना स्वीकार्य नहीं है।
पवार ने मंगलवार को मुंबई में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "वह हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं और अगर किसी अन्य देश में कोई नेता उनके बारे में ऐसी टिप्पणी करता है, तो हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
पवार ने इस बात पर जोर देते हुए कि पीएम पद का सम्मान किया जाना चाहिए और किसी को भी इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों का सामना नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "पीएम के पद का अन्यत्र नेताओं द्वारा भी सम्मान किया जाना चाहिए। हम प्रधानमंत्री के खिलाफ किसी के भी बाहर देश के शब्द को स्वीकार नहीं करेंगे।"
हालांकि, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद से पीएम मोदी को हर चीज को 'व्यक्तिगत' रूप से लेने की आदत हो गई है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "जब से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, वह चीजों को व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं। हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध विकसित करने और सुनिश्चित करने चाहिए। हमें जरूरतों के अनुसार कार्य करना चाहिए। ऐसे समय में जब हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते।"
मालूम हो कि मालदीव सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा पीएम मोदी की हाल की लक्षद्वीप यात्रा पर बेहद अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।
इस मसले में नई दिल्ली ने भद्दे सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए मालदीव के भारत में तैनात दूत को भी बुलाया था और उस टिप्पणी के बाद से भारत के यात्री मालदीव की यात्रा से परहेज कर रहे हैं।