CJI ने कहा, व्यवस्था की आलोचना करना आसान, लेकिन किसी संस्थान को बदलना है मुश्किल

By भाषा | Updated: August 15, 2018 20:15 IST2018-08-15T20:15:57+5:302018-08-15T20:15:57+5:30

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘कुछ तत्व ऐसे भी हो सकते हैं जो संस्थान को कमजोर करने का प्रयास करें। लेकिन हमें एक साथ मिलकर इसके आगे झुकने से इनकार करना होगा।’’ 

Do not destroy, weaken the system but transform it says CJI Dipak misra | CJI ने कहा, व्यवस्था की आलोचना करना आसान, लेकिन किसी संस्थान को बदलना है मुश्किल

CJI ने कहा, व्यवस्था की आलोचना करना आसान, लेकिन किसी संस्थान को बदलना है मुश्किल

नई दिल्ली, 15 अगस्तः प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने बुधवार को कहा कि किसी व्यवस्था की आलोचना करना, उस पर हमला करना और उसे बर्बाद करना आसान है, लेकिन उसे बदलकर काम करने योग्य बनाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा 72वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित समारोह में तिरंगा फहराने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि संस्थान व्यापक ऊंचाइयों को छू सके, इसके लिये एक व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को दूर रख कर सकारात्मक मानसिकता के साथ रचनात्मक कदम उठाने होंगे। 

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘किसी व्यवस्था की आलोचना करना, उस पर हमला करना और उसे नष्ट करना आसान है। उसे काम करने योग्य बनाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है। इसके लिये किसी को भी अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं या शिकायतों को दूर रखना होगा...इसके बजाय सुधार के लिये तर्कसंगतता, परिपक्वता, ज़िम्मेदारी और सकारात्मक मानसिकता के साथ रचनात्मक कदम उठाने की जरूरत है।’’ 

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘कुछ तत्व ऐसे भी हो सकते हैं जो संस्थान को कमजोर करने का प्रयास करें। लेकिन हमें एक साथ मिलकर इसके आगे झुकने से इनकार करना होगा।’’ 

कार्यक्रम में मौजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह जरूरी है कि एक तरह की ‘‘ऑडिट’’ या समझ हो, ताकि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का व्यापक परिप्रेक्ष्य कहीं खो न जाए। उन्होंने बेवजह दायर की गई जनहित याचिकाओं पर हाल ही में उच्चतम न्यायलय द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने के संदर्भ में यह कहा। 

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि अदालत में मौखिक टिप्पणी जारी करना संस्थान को नुकसान पहुंचा रहा है। ‘‘हमें इस बात को महसूस करना होगा कि यह एकमात्र संस्थान है जहां फैसले लोगों के सामने किए जाते हैं। न्यायालय में कहा गया हर शब्द मीडिया रिपोर्ट करती है।’’ 

Web Title: Do not destroy, weaken the system but transform it says CJI Dipak misra

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