नई दिल्ली: पिछले कई सालों से ग्रीन पटाखों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है और दिवाली आने के साथ यह चर्चा और तेज हो जाती है.
हालांकि, इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या ग्रीन पटाखे इंसानों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में सामान्य पटाखों का सबसे बेहतर विकल्प हैं.
दरअसल, ग्रीन पटाखे पूरी तरह से हानिरहित नहीं होते हैं लेकिन यह है कि वे सामान्य पटाखों की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं.
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अनुसार, ग्रीन पटाखे नियमित पटाखों की तुलना में उत्सर्जन को केवल 30 फीसदी तक कम कर सकते हैं.
नियमित पटाखे 160 डेसिबल से 200 डेसिबल के बीच प्रदूषण करते हैं जबकि ग्रीन पटाखे इसे कम करके लगभग 100-130 डेसिबल तक कर सकते हैं.
दुनियाभर में पर्यावरण से जुड़े मामलों पर स्थानीय डेटा मुहैया कराने वाली अंबी के सहसंस्थापक मधुसूदन आनंद ने कहा कि ग्रीन पटाखे कम उत्सर्जन वाले पटाखे होते हैं जो सल्फर नाइट्रेट्स, आर्सेनिक, मैग्नीशियम, सोडियम, लेड और बेरियम जैसे हानिकारक रसायनों से मुक्त होते हैं.
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नीति अध्ययन केंद्र (सीएसटीईपी) में वायु प्रदूषण क्षेत्र की विशेषज्ञ प्रतिमा सिंह कहती हैं कि केंद्र सरकार को आगे आकर इस मामले में पहल करनी चाहिए और इसका समाधान ढूंढने के लिए देश में मौजूद संस्थाओं की मदद लेनी चाहिए.
मधुसूदन का कहना है कि अगर लोगों को ग्रीन पटाखे लेने हैं तो उन्हें एक क्यूआर कोड के साथ ग्रीन फायरवर्क्स लोगो को लेना चाहिए. लोगो पर 'सीएसआईआर नीरी इंडिया' प्रमाणपत्र और एक प्रमाणपत्र संख्या होगी.