मथुरा, 29 अक्टूबर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में पराली जलाने के 56 मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ऐसे मामलों को रोकने के प्रयास में जुट गया है।
जिलाधिकारी ने कृषि विभाग सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में पराली जलने की एक भी घटना होने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कृषि विभाग के सभी अधिकारियों, सभी अपर जिलाधिकारियों एवं उप जिलाधिकारियों को ताकीद की है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में जाकर किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी दें तथा उन्हें पराली को खेत में सड़ाकर खाद बनाने के लिए प्रेरित करें।
जिला सूचना अधिकारी प्रशांत सुचारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बैठक में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने बताया कि जिले में अब तक विकास खण्ड छाता में 21, नन्दगाँव में 20, चौमुहाँ में आठ, नौहझील में तीन, मथुरा में दो एवं गोवर्धन में दो यानि कुल 56 घटनाएं सामने आई हैं।
उन्होंने किसानों को यह समझाने के निर्देश दिए कि वे बजाए पराली जलाने के उसका उपयोग अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में करें। इसके लिए वे पराली को सड़ाकर खाद बना सकते हैं।
यदि तब भी कुछ अवशेष रहता है तो वे उसे बरसाने में ‘माताजी गोशाला’ में भेज सकते हैं। वहां पराली एकत्रीकरण का 1500 मीट्रिक टन क्षमता का संयत्र लगाया गया है। जिससे पराली का उपयोग पशुओं के चारे में किया जा सके।
जिलाधिकारी ने पराली जलाने वाले कृषकों के ऊपर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया को तेजी से प्रारम्भ करने के निर्देश भी दिए।
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