देवेगौड़ा ने नगा शांति वार्ता के कठिन दौर में पहुंचने पर चिंता जतायी
By भाषा | Published: August 17, 2020 07:49 PM2020-08-17T19:49:02+5:302020-08-17T19:49:02+5:30
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने नगा समस्या के समाधान के लिये केन्द्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच चल रही वार्ता में कठिन दौर'' में आने पर चिंता जताई है।
बेंगलुरु: पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने नगा समस्या के समाधान के लिये केन्द्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच चल रही वार्ता में 'कठिन दौर'' में आने पर चिंता जाहिर करते हुए सोमवार को कहा कि अविश्वास को किनारे रखकर जल्द से जल्द शांति समझौता अंजाम तक पहुंच जाना चाहिये। देवेगौड़ा ने एक बयान में कहा, ''समाचार पत्रों में आ रही खबरें संकेत दे रही हैं कि केन्द्र सरकार की एनएएसीएन (आईएम) के साथ चल रही वार्ता कठिन दौर में पहुंच गया है।
इस वार्ता में शामिल लोगों के हालिया बयानों से दोनों पक्षों के बीच अविश्वास झलकता है।'' उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते फरवरी 1997 में नगा नेताओं आइजक चिशि स्वू और थुइनंगलेंग मुइवा से ज्यूरिक में मुलाकात की थी, जिसके बाद उसी साल संघर्ष विराम समझौता हुआ था और वह समझौता रचनात्मक कूटनीति का परिणाम था।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि बीते 23 वर्षों में विभिन्न सरकारों ने जो प्रयास किये, वे बेकार न जाएं। हमें संविधान और 2015 की रूपरेखा समझौते की मदद से समाधान की ओर बढ़ना चाहिये।'' एनएससीएन (आईएम) ने रविवार को नगालैंड के राज्यपाल और नगा शांति वार्ता के लिए वार्ताकार आर एन रवि पर निशाना साधते हुए उनपर राजनीतिक मुद्दे को कानून-व्यवस्था की समस्या में बदलने और ''कपटी'' रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
पिछले 23 वर्षों से केंद्र के साथ शांति वार्ता में शामिल एनएससीएन (आईएम) ने एक बयान में यह आरोप भी लगाया कि रवि 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षर किए गए समझौते को लेकर नगा लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार तथा एक संसदीय स्थायी समिति को भी "गुमराह" कर रहे हैं।
देवेगौड़ा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अविश्वास को किनारे रखकर बातचीत जारी रहेगी और जल्द ही शांति समझौता अंजाम तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग सौहार्दपूर्ण माहौल में रहने के हकदार हैं और आर्थिक विकास देखना चाहते हैं।