दिल्ली की पराजय के बावजूद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खामोश
By शीलेष शर्मा | Updated: February 15, 2020 00:38 IST2020-02-15T00:38:10+5:302020-02-15T00:38:10+5:30
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए दिल्ली के चुनावी परिणाम कोई चौंकाने वाले नहीं थे. शीर्ष नेतृत्व को पता था कि पार्टी दिल्ली के चुनाव में कैसा प्रदर्शन करने जा रही है. इसीलिए ना तो पार्टी ने पैसा खर्च किया और ना ही बड़े नेता प्रचार अभियान में उतरे.

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी बेटी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ। (फाइल फोटो)
दिल्ली में शर्मनाक पराजय के बाद कांग्रेस में आंतरिक कोहराम मचा है, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह शांत है. भाजपा और आम आदमी पार्टी बैठक के बाद बैठक कर इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि उनके प्रत्याशी क्यों हारे. लेकिन कांग्रेस में ऐसी कोई हलचल नहीं है.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए दिल्ली के चुनावी परिणाम कोई चौंकाने वाले नहीं थे. शीर्ष नेतृत्व को पता था कि पार्टी दिल्ली के चुनाव में कैसा प्रदर्शन करने जा रही है. इसीलिए ना तो पार्टी ने पैसा खर्च किया और ना ही बड़े नेता प्रचार अभियान में उतरे.
लेकिन युवा पीढ़ी पार्टी में कोहराम मचाएं हुए है. शर्मिष्ठा मुखर्जी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट सहित राहुल समर्थकों की बड़ी भीड़ पार्टी के बड़े नेताओं पर सवाल उठा रही है और पूछ रही है कि पार्टी क्या अब भी इससे बुरे होने का इंतजार कर रही है.
इन युवा नेताओं के सवाल उठाने से एक बार फिर कांग्रेस में युवा बनाम बुजुर्ग की आग सुलगने लगी है. हालांकि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पराजय के तुरंत बाद अपने विश्वास पात्र पी.सी. चाको को इस्तीफा देने की सलाह दे दी.
इस्तीफा हुआ सोनिया ने स्वीकार भी किया और फोरी व्यवस्था के तौर पर शक्ति सिंह गोहिल को प्रभार सौंप दिया लेकिन पार्टी के युवा नेता इससे संतुष्ट नहीं है.
उच्च पदस्थ सूत्र बताते है कि 18 फरवरी के बाद जब शक्ति सिंह गोहिल अपना पदभार संभालेंगें, उसके बाद चुनाव परिणामों की समीक्षा होगी और प्रदेश में नये अध्यक्ष के साथ एक नयी टीम खड़ी की जाएगी.