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जम्मू: तमाम कोशिशों के बावजूद भी राजौरी-पुंछ में बढ़ रहे हैं आतंकी हमले, मक्की की फसलों का इस्तेमाल कर आतंकवादी कर सकते है फिर से अटैक

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 2, 2023 12:43 IST

मामले में सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबलों के प्रहार के बाद आतंकी कश्मीर से निकल कर राजौरी व पुंछ के ऊपरी क्षेत्रों में ठिकाना बनाकर छिपे हैं। ये आतंकी हमले के लिए मौके की ताक में हैं।

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ठळक मुद्देएलओसी से सटे राजौरी और पुंछ के जुड़वां जिलों में बढ़ती आतंकी हिंसा काफी चिंताजनक है। ऐसे में दावा है कि आतंकवादी राजौरी व पुंछ के ऊपरी क्षेत्रों में छिपे हुए है और किसी बड़े मौके की तलाश में लगे है। दावा यह भी है कि ये आतंकवादी मक्की की फसलों का इस्तेमाल कर किसी हमलों को अंजाम भी दे सकते है।

जम्मू: अगर अधिकारियों की मानें तो एलओसी से सटे राजौरी और पुंछ के जुड़वां जिलों में बढ़ती आतंकी हिंसा, आतंकी हमले और आतंकियों की घुसपैठ की घटनाएं चिंताजनक हैं। उनका कहना है कि डांगरी में हिन्दुओं को चुन चुन कर मारने की घटना आने वाले भयानक दिनों की कहीं आहट तो नहीं है ना। 

सभी आतंकी संगठन मिलकर रच रहे है शाजिश

सूत्रों के अनुसार कुछ दिन पहले पाक कब्जे वाले कश्मीर में लश्करे तौयबा, जैशे मुहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन व अन्य आतंकी संगठनों के कमांडरों ने पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों के साथ मिलकर आतंक का नया खूनी खेल रचा था। इसके तहत राजौरी और पुंछ में ज्यादा से ज्यादा आत्मघाती हमले करना है। इतना ही नहीं हिंदुओं, सियासी नेताओं और अधिकारियों को भी निशाने पर लेने की घिनौनी सोच सामने रखी गई है। 

अलग-अलग काफिले में आतंकवादी पहुंच रहे है राजौरी व पुंछ और कश्मीर

आतंकी संगठनों के कमांडरों ने अपने आकाओं को बताया था कि उनके काफी आतंकी राजौरी व पुंछ के अलावा कश्मीर के भी कुछ हिस्सों में सुरक्षित पहुंच चुके हैं। इन्हें आत्मघाती हमले करने के निर्देश सीमा पार से दिए जा रहे हैं। कश्मीरी हिंदुओं को भी निशाना बनाने को कहा जा रहा है।

जानकारी के लिए डांगरी गांव ऊंचाई पर है, जिसके एक तरफ सरानू पोठा के घने जंगल हैं। आतंकियों के लिए यह जंगल क्षेत्र हमेशा ही आवाजाही का रूट रहा है। नौशहरा क्षेत्र से घुसपैठ कर आतंकी सरानू पोठा जंगल और उसके साथ लगते कंग, बुद्धल से होकर कालाकोट पहुंचते थे। संवेदनशील इलाका होने की वजह से कई बार इस जंगल को भी खंगाला जा चुका है।

हमले की ताक में राजौरी व पुंछ के ऊपरी क्षेत्रों में छुपे है आतंकवादी

यह भी सच है कि कभी आतंकवाद के लिहाज से बेहद संवेदनशील रहा राजौरी जिला पिछले पंद्रह दिन में दूसरी बार बड़ी वारदातों से दहल गया है। जिला मुख्यालय से सटे सेना की अल्फा टीसीपी के पास 16 दिसंबर को फायरिंग में दो लोगों की जान चली गई थी। 

सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबलों के प्रहार के बाद आतंकी कश्मीर से निकल कर राजौरी व पुंछ के ऊपरी क्षेत्रों में ठिकाना बनाकर छिपे हैं। ये आतंकी हमले के लिए मौके की ताक में हैं। राजौरी व पुंछ में मौजूद आतंकियों के पास ड्रोन के माध्यम से अत्याधुनिक हथियार पहुंचाए गए हैं। 

हमला और छुपने के लिए मक्की की फसल का इस्तेमाल कर सकते है आतंकी

आपको बता दें कि अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आतंकियों को सभी प्रकार के हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है। सीमावर्ती इलाकों में भी वर्तमान में मक्की की फसल काफी ऊंची हो चुकी है। 

इसकी आड़ में आतंकी बड़ी वारदातों को अंजाम दे सकते हैं। हमला करने के बाद आतंकी सुरक्षित मक्की की फसल में छिप सकते हैं और मौका देखकर वहां से फरार भी हो सकते हैं। ऐसे में आने वाले दिन सुरक्षा बलों के लिए काफी चुनौती भरे साबित हो सकते हैं।

सूचना मिलने के बाद भी आतंकियों को नहीं पकड़ा गया-आरोप

गौरतलब है कि अल्फा टीसीपी से नदी के रास्ते एक किलोमीटर की दूरी पर डांगरी गांव जिला जेल परिसर के पास पड़ता है। गांव थोड़ी ऊंचाई पर है और घर भी यहां एक दूसरे से कुछ दूरी पर हैं, लेकिन जिस तरह से करीब दो सप्ताह में दो बड़ी वारदातें हुई हैं, इससे सुरक्षा एजेंसियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

इस पर बोलते हुए डांगरी के सरपंच धीरज शर्मा ने कहा, यह हमला पूरे सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़े करता है। बताया जा रहा है कि इलाके में लोग बेहद दहशत में हैं। ऐसे में आरोप है कि कई तरह की सूचनाएं पहले से भी मिलती रही हैं। इसके बावजूद आतंकियों को समय पर पकड़ा नहीं गया, जिससे आज इतनी बड़ी वारदात हो गई।

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