(सुमीर कौल)
श्रीनगर/नयी दिल्ली, 22 दिसंबर परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिशों को लेकर उसकी आलोचना करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को आरोप लगाया कि वह (आयोग) कश्मीर के लोगों को शक्तिहीन करने के भारतीय जनता पार्टी के एजेंडा को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) लोकतांत्रिक तरीकों से इस कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी।
नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीट बढ़ाने और कश्मीर में महज एक सीट बढ़ाने के आयोग के प्रस्ताव ने आबादी की अनदेखी की है।
उमर ने आयोग की मसौदा सिफारिशों पर अपनी पहली विस्तृत प्रतिक्रिया में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इस अनुपात में सीट बढ़ा कर, आप असल में कश्मीर में लोगों को मताधिकार से वंचित कर रहे हैं क्योंकि सीट और आबादी का अनुपात बहुत अधिक बदल गया है।’’
मसौदा सिफारिशों को दो दिन पहले नयी दिल्ली में आयोग की बैठक में पेश किया गया, जिसमें नेकां के तीन सांसद और भाजपा के दो सांसद शामिल हुए थे। आयोग ने इसके सहयोगी सदस्यों से 31 दिसंबर तक टिप्पणी मांगी है।
नेकां, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और मुख्य रूप से कश्मीर क्षेत्र आधारित अन्य राजनीतिक दलों ने मसौदा प्रस्तावों का मुखर विरोध किया है, जो जम्मू संभाग में विधानसभा सीट की संख्या 37 से बढ़ा कर 43 और कश्मीर में 46 से बढ़ा कर 47 करेगा।
उमर ने यह स्पष्ट कर दिया कि नेकां सिफारिशों का समर्थन नहीं करेगा और यदि आयोग ने प्रस्तावों में संशोधन नहीं किया तो, ‘‘हम निश्चित रूप से अपनी असहमति दर्ज कराएंगे।’’
उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख करने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘चाहे सही हो या गलत, आप परिसीमन आयोग की सिफारिशों को अदालत में चुनौती नहीं दे सकते हैं। ’’उन्होंने कहा, ‘‘हमें अन्य लोकतांत्रिक तरीकों का सहारा लेना होगा और उसके जरिए दबाव बनाना होगा। ’’
उन्होंने कहा कि 2018 से केंद्र की योजना कश्मीर के लोगों को शक्तिहीन करने की रही है और आयोग की सिफारिशें उसी दिशा में महज एक कदम है।
नेकां नेता ने दावा किया कि जम्मू में भाजपा के कई नेता 2011 की जनगणना से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को एक-दो साल इंतजार करना चाहिए था और फिर 2021 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कराना चाहिए था।
उन्होंने मीडिया के एक हिस्से में दी जा रही इस दलील का विरोध किया कि सीट का वितरण भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश की तुलना में अधिक सीट क्यों नहीं है।
नेकां उपाध्यक्ष ने भविष्य की रणनीति के बारे में बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘इसपर हम पार्टी के अंदर आंतरिक चर्चा करेंगे और गुपकर गठबंधन में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं के साथ भी चर्चा करेंगे।
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