दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 20, अमित शाह और अजित डोभाल की इमरजेंसी बैठक
By पल्लवी कुमारी | Published: February 26, 2020 11:55 AM2020-02-26T11:55:15+5:302020-02-26T11:55:15+5:30
Delhi violence: उत्तरपूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करने वाली एक याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस से बुधवार दोपहर तक जवाब मांगा है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर भड़की साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर बुधवार को 20 पर पहुंच गई है। जीटीबी अस्पताल के सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार ने कहा है कि दिल्ली में भड़की हिंसा से अस्पताल में लाए गए लोगों में से घायलों की संख्या 189 है और 20 लोग मर गए हैं। इससे पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल से कम से कम चार शवों को गुरु तेग बहादुर अस्पताल लाया गया।
गृह मंत्री अमित शाह इसको लेकर एक इमरजेंसी बैठक बुलाई है। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी हिस्सा लेंगे। ये बैठक कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की है। जिसको लीड अमित शाह करेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को दिल्ली की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। अजीत डोभाल दिल्ली के प्रभावित इलाकों में आज और कल खुद दौरा करने गए थे।
Sunil Kumar Gautam Medical Superintendent, Guru Teg Bahadur (GTB) Hospital: Out of all the people that were brought to the hospital 189 are injured and 20 are dead. #DelhiViolencepic.twitter.com/U8dlp4nrZV
— ANI (@ANI) February 26, 2020
अजीत डोभाल और दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक ने मंगलवार देर रात एक बैठक के लिए सीलमपुर में उत्तर-पूर्व डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या के कार्यालय का दौरा किया। डोभाल, पटनायक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा करने के लिए मौजपुर, जाफराबाद, गोकुलपुरी और भजनपुरा गए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रभावित क्षेत्रों के अधिकारियों और विधायकों के साथ आपातकालीन बैठक की, और अधिकारियों को केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय करने और हिंसा के चक्र को समाप्त करने का निर्देश दिया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे हिंसा में शामिल होने के बजाय अपने मुद्दों को शांत करें और अपनी बात रखें।