दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का दिया आदेश

By भाषा | Published: June 17, 2021 03:30 PM2021-06-17T15:30:54+5:302021-06-17T15:30:54+5:30

Delhi riots: Court orders immediate release of all three student activists | दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का दिया आदेश

दिल्ली दंगे: अदालत ने तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का दिया आदेश

नयी दिल्ली, 17 जून दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को तत्काल जेल से रिहा करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन छात्र कार्यकर्ताओं को मंगलवार को जमानत दी थी। उच्च नयायालय के इस फैसले के दो दिन बाद अदालत ने यह आदेश दिया। इन्हें पिछले साल फरवरी में दंगों से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। इन्हें उनके पते और जमानतदारों से जुड़ी जानकारी पूर्ण ना होने का हवाला देते हुए समय पर जेल से रिहा नहीं किया गया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने पते और जमानतदारों के सत्यापन में देरी को लेकर पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा , ‘‘ मैं कहूंगी कि यह अपने आप में एक उचित कारण नहीं हो सकता है कि जब तक इस तरह की रिपोर्ट दाखिल नहीं हो जाती, तब तक आरोपी को जेल में रखा जाए।’’

अभियुक्तों के वकील द्वारा दाखिल हलफनामे को ध्यान में रखते हुए अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को उनकी तत्काल रिहाई के लिए वारंट भेजा। इस हलफनामे कहा गया था कि उनका मुवक्किल राष्ट्रीय राजधानी के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेगा।

दिल्ली पुलिस ने 16 जून को आरोपियों को जमानत पर रिहा करने से पहले उनके पते, जमानतदारों तथा आधार कार्ड के सत्यापन के लिए अदालत से और समय मांगा। पुलिस के इस आवेदन को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने उन्हें दिल्ली में आरोपियों के पते को सत्यापित करने और बृहस्पतिवार शाम पांच बजे रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। वहीं, अन्य राज्य में उनके पते के सत्यापन पर अदालत ने उन्हें 23 जून को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

इसके अलावा, अदालत ने उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें उसने कहा था कि एक बार जब कैद में रखे गए लोगों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है और मुचलके के साथ जमानतदारों को प्रस्तुत किया गया है, तो उन्हें ‘‘एक मिनट के लिए भी’’ सलाखों के पीछे नहीं रहना चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ यह देखा गया कि राज्य को न्यूनतम संभव समय के भीतर इस तरह की सत्यापन प्रक्रिया के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना चाहिए और ऐसा कोई कारण नहीं हो सकता है, जो ऐसे व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करने के लिए पर्याप्त हो।’’

उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद कार्यकर्ताओं ने तत्काल जेल से रिहाई के लिए अदालत का रुख किया था, जिसने मामले पर बुधवार को अपना आदेश बृहस्पतिवार तक के लिए टाल दिया था। इसके बाद बृहस्पतिवार को तीनों छात्र कायकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख, जिसने निचली अदालत को इनकी जेल से रिहाई के मामले पर ‘‘तत्परता’’ से गौर करने को कहा।

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था। हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे। इन तीनों पर इनका मुख्य ‘‘साजिशकर्ता’’ होने का आरोप है।

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Web Title: Delhi riots: Court orders immediate release of all three student activists

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