Delhi Pollution: पंजाब में पराली जलाने की 404 नई घटनाएं?, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-दिल्ली-एनसीआर में GRAP-3 लागू करने में 3 दिन की देरी क्यों...

By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 18, 2024 12:07 IST2024-11-18T11:59:59+5:302024-11-18T12:07:40+5:30

Delhi Pollution: स्कूलों के प्रमुखों को अगले आदेश तक इन कक्षाओं के छात्रों के लिए ऑनलाइन मोड में कक्षाएं सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है।

Delhi Pollution Supreme Court questions authorities why delay 3 days in imposing GRAP-3 in Delhi NCR Air Quality Index (AQI) goes below 300 see video | Delhi Pollution: पंजाब में पराली जलाने की 404 नई घटनाएं?, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-दिल्ली-एनसीआर में GRAP-3 लागू करने में 3 दिन की देरी क्यों...

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Highlightsछात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं आज से अगले आदेश तक बंद कर दी गईं। कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं हमेशा की तरह जारी रहेंगी। पंजाब में रविवार को पराली जलाने की 400 से अधिक नई घटनाएं सामने आईं।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से सवाल किया कि दिल्ली-एनसीआर में GRAP-3 लागू करने में 3 दिन की देरी क्यों हुई। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि GRAP-4 आज से लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पारित कर दिया है और आज बोर्ड के अंत में इस पर फिर से विचार करेगा। दिल्ली में कक्षा 9 और कक्षा 11 तक के सभी छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं आज से अगले आदेश तक बंद कर दी गईं। स्कूलों के प्रमुखों को अगले आदेश तक इन कक्षाओं के छात्रों के लिए ऑनलाइन मोड में कक्षाएं सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है।

    

प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में ग्रैप के चरण-4 के कार्यान्वयन में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से सवाल किया है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह ग्रैप के चरण-4 के तहत उठाए जाने वाले निवारक कदमों में कटौती की अनुमति नहीं देगा, भले ही एक्यूआई 450 से नीचे आ जाए। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए जाने वाले निवारक कदमों में कटौती करने के लिए न्यायालय की पूर्व अनुमति लेनी होगी।

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि पराली जलाने के कारण वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर तक खराब होने के कारण उत्तर भारत चिकित्सकीय आपात स्थिति का सामना कर रहा है। भाजपा नीत केंद्र सरकार केवल राजनीति कर रही है, पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब लगातार छठे दिन भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। यह घोषणा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए कड़े प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के कुछ घंटों बाद की गई।

कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं हमेशा की तरह जारी रहेंगी। जीआरएपी का चौथा चरण सोमवार सुबह आठ बजे से प्रभावी हुआ। मुख्यमंत्री आतिशी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कल से जीआरएपी-चार लागू होने के साथ ही कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों को छोड़कर सभी छात्रों के लिए प्रत्यक्ष कक्षाएं स्थगित रहेंगी। सभी स्कूल अगले आदेश तक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेंगे।’’

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) रविवार को ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। दिल्ली में एक्यूआई शाम चार बजे 441 दर्ज किया गया, जो प्रतिकूल मौसम के कारण शाम सात बजे तक बढ़कर 457 हो गया। आदेश के मुताबिक, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-छह डीजल/इलेक्ट्रिक) का उपयोग करने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  

पंजाब में रविवार को पराली जलाने की 400 से अधिक नई घटनाएं सामने आईं, जिससे इस मौसम में राज्य में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 8,404 हो गई। दूर संवेदी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आयी है।पंजाब दूर संवेदी केंद्र ने बताया कि पराली जलाने की 404 नई घटनाएं सामने आयी हैं, जिनमें से फिरोजपुर में 74, बठिंडा में 70, मुक्तसर में 56, मोगा में 45 और फरीदकोट में 30 ऐसी घटनाएं हुईं। फिरोज में पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं हुईं। केंद्र के मुताबिक, 2022 और 2023 में इसी दिन पंजाब में पराली जलाने के क्रमश: 966 एवं 1155 मामले सामने आये थे।

पंजाब में 15 सितम्बर से 17 नवम्बर तक पराली जलाने की 8,404 घटनाएं हुईं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ऐसी घटनाओं में 75 प्रतिशत की कमी है। राज्य में 2022 और 2023 में इसी अवधि के दौरान पराली जलाने की क्रमशः 47,788 और 33,082 घटनाएं हुई थीं। अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाये जाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

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