नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एमसीडी मेयर चुनाव को लेकर अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मनोनीत सदस्य एमसीडी मेयर चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं।" इस फैसले के साथ ही अदालत मामले की 17 फरवरी 2023 को सुनाई करने वाली है।
शीर्ष अदालत की ये टिप्पणी मौखिक की गई है और 16 फरवरी तक कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। गौरतलब है कि फिलहाल 16 फरवरी को मेयर के लिए होने वाला चुनाव नहीं होगा।
दरअसल, आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आम आदमी पार्टी की नेता शैली ओबेरॉय ने याचिका में मनोनीत सदस्यों को महापौर के चुनाव में मतदान करने से प्रतिबंधित करने की मांग की थी।
कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई को 17 फरवरी तक स्थगित करते हुए कहा कि मनोनीत सदस्य चुनाव के लिए नहीं जा सकते हैं, यह संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट है।
दिल्ली मेयर चुनाव का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली नगर निगम चुनाव को हुए करीब 2 महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक दिल्ली मेयर का चुनाव संभव नहीं हो सका है। पिछले तीन बार से जब भी सदन में चुनाव का आयोजन किया गया तो 'आप' और बीजेपी के पार्षदों द्वारा जोरदार हंगामे के कारण चुनाव टल गया। दिल्ली के एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें प्राप्त कर जीत हासिल की है, वहीं बीजेपी को 104 वार्ड पर जीत मिली है।
ऐसे में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह अपने पार्षदों को सदन में हंगामा करने के लिए कहते हैं ताकि मेयर का चयन न हो सके। सुप्रीम कोर्ट के पास आज सुनवाई के लिए समय कम होने के कारण कोर्ट ने 17 फरवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी है।
कोर्ट में याचिकार्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243आर ने इसे बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि मनोनीत सदस्यों को सदन में वोट देने का हक नहीं है। बता दें कि शैली ओबेरॉय की याचिका में दिल्ली नगर निगम के सदन के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी को हटाने की भी मांग की गई है।