हाई कोर्ट जाँचेगा गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमाण्ड की वैधता, पुलिस से कहा उपलब्ध कराए अनुदित दस्तावेज

By भाषा | Updated: August 29, 2018 21:09 IST2018-08-29T21:09:51+5:302018-08-29T21:09:51+5:30

दलील के दौरान अदालत ने राज्य पुलिस से पूछा कि क्यों सारे दस्तावेज मराठी से अनुदित नहीं हुए और उन्हें अदालत और नवलखा या उनके वकीलों को क्यों नहीं सौंपा गया।

delhi high court will assess validity of transit remand of gautam navlakha | हाई कोर्ट जाँचेगा गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमाण्ड की वैधता, पुलिस से कहा उपलब्ध कराए अनुदित दस्तावेज

गौतम नवलखा EPW पत्रिका के सलाहकार सम्पादक रहे हैं। (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि वह नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार करने की महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई और उन्हें पुणे की एक अदालत में पेश करने के लिये दिये गए ट्रांजिट रिमांड आदेश की कानूनी वैधता का परीक्षण करेगी।

तकरीबन उसी समय उच्चतम न्यायालय ने भी नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि वह शीर्ष न्यायालय के आदेश को देखने के बाद ही कोई निर्देश देगा। 

शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन सभी को छह सितंबर तक नजरबंद रखा जाए। 

वहीं, उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर मामले में सभी गिरफ्तारियां वैध पाई गईं, तो भी यह नवलखा की गिरफ्तारी को वैधता प्रदान नहीं करेगी।

महाराष्ट्र पुलिस नवलखा को गिरफ्तार करना चाहती थी और उन्हें पिछले साल 31 दिसंबर 2017 को आयोजित ‘एल्गार परिषद’ कार्यक्रम को लेकर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुणे ले जाना चाहती थी। उस कार्यक्रम के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा हुई थी।

हाई कोर्ट ने मराठी दस्तावेज पर उठाया सवाल

दलील के दौरान अदालत ने राज्य पुलिस से पूछा कि क्यों सारे दस्तावेज मराठी से अनुदित नहीं हुए और उन्हें अदालत और नवलखा या उनके वकीलों को क्यों नहीं सौंपा गया।

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कैसे मजिस्ट्रेट अदालत ने अनुदित दस्तावेजों के बगैर ही ट्रांजिट रिमांड आदेश जारी करने के लिये विवेक का इस्तेमाल किया।

अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा, ‘‘क्यों गिरफ्तारी के आधार बताने वाले दस्तावेज को मराठी से अनुदित नहीं कराया गया और नवलखा को नहीं दिया गया।’’ 

अदालत ने जानना चाहा कि कब अदालत और नवलखा को सारे दस्तावेज प्रदान किये जाएंगे।

अदालत ने कहा कि मामला व्यक्ति की स्वतंत्रता के सवाल से संबंधित है। उसने कहा कि उसे भी सभी दस्तावेजों की अनुदित प्रतियां नहीं प्रदान की गई हैं।

पीठ ने पूछा कि क्या यह अनिवार्य है कि महाराष्ट्र में हर आधिकारिक या कानूनी दस्तावेज मराठी में हो।

पुलिस ने कहा देगी अनुदित दस्तावेज

महाराष्ट्र पुलिस ने पीठ से कहा कि वह नवलखा के वकीलों को सारे अनुदित दस्तावेज मुहैया कराएगी।

इससे पहले दिन में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी ने अदालत को सूचित किया कि दस्तावेजों की अनुदित प्रतियां तैयार नहीं हैं। 

अदालत ने कल निर्देश दिया था कि उसके द्वारा मामले की सुनवाई किये जाने से पहले नवलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए क्योंकि उनके खिलाफ आरोप, दस्तावेजों के मराठी में होने की वजह से स्पष्ट नहीं हैं। 

अदालत ने कहा था कि फिलहाल नवलखा को दिल्ली पुलिस की निगरानी में उनके आवास में ही रखा जाए और इस दौरान उन्हें सिर्फ अपने वकीलों से मिलने और बात करने की अनुमति होगी।

कई शहरों में की गई छापेमारी के बाद नवलखा को कल गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद साकेत जिला अदालत से उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर पुणे ले जाने की अनुमति ली गयी।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने साकेत की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। नवलखा को कल गिरफ्तार किया गया था। 
 

Web Title: delhi high court will assess validity of transit remand of gautam navlakha

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