मनी लॉन्ड्रिंग केस: दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने ईडी से दो सप्ताह के अंदर मांगा जवाब, 20 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
By रुस्तम राणा | Published: December 1, 2022 11:50 AM2022-12-01T11:50:21+5:302022-12-01T11:57:21+5:30
Money Laundering Case: एकल जज दिनेश कुमार शर्मा ने केंद्रीय जाँच एजेंसी को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है। एकल जज दिनेश कुमार शर्मा ने केंद्रीय जाँच एजेंसी को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
इस मामले में कोर्ट में 20 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। अपनी जमानत याचिका के खिलाफ निचली अदालत के आदेश को जैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में बीते 17 नवंबर को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार के मंत्री को मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था।
इससे पहले निचली अदालत ने जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए, विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा था कि जैन पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तों के संबंध में जमानत के लाभ के हकदार नहीं थे।
Delhi High Court seeks response of ED on jailed Delhi minister Satyendar Jain's plea seeking regular bail in money laundering case. Jain's bail plea was recently dismissed by the trial court.
— ANI (@ANI) December 1, 2022
(File photo) pic.twitter.com/NWjYcwSOna
अपनी जमानत याचिका में, जैन ने तर्क दिया कि विशेष न्यायाधीश ने उनके पक्ष में एक निष्कर्ष दिया कि उन तीन कंपनियों में उनकी एक-तिहाई हिस्सेदारी कभी नहीं थी, जिनके माध्यम से कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी। उन्होंने दावा किया कि इसने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले के पूरे आधार को ध्वस्त कर दिया, जो ईडी से संबंधित मामला है।
आम आदमी पार्टी नेता के द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि आरोपों के अनुसार, उनके लिए अनुमानित राशि 59 लाख रुपये है, और इसलिए, वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के अनुसार जमानत के हकदार हैं।
वहीं ईडी का आरोप है कि 2015 और 2016 के बीच कंपनियों ने "लाभदायक रूप से स्वामित्व और उनके द्वारा नियंत्रित" शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रविष्टियां प्राप्त कीं, जो कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को हवाला के माध्यम से हस्तांतरित की गई थीं।