दिल्ली हाईकोर्ट: शादीशुदा महिला लिव-इन पार्टनर पर नहीं लगा सकती रेप का आरोप

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 22, 2023 09:06 AM2023-09-22T09:06:35+5:302023-09-22T09:11:48+5:30

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि एक महिला, जो पहले से ही किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह के रिश्ते में है, वह इस बात का दावा नहीं कर सकती है कि उसे किसी अन्य पुरुष ने शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाया।

Delhi High Court: Married woman cannot accuse live-in partner of rape | दिल्ली हाईकोर्ट: शादीशुदा महिला लिव-इन पार्टनर पर नहीं लगा सकती रेप का आरोप

फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली हाईकोर्ट ने शादीशुदा महिला द्वारा लिव-इन पार्टनर पर लगाये रेप के आरोप को खारिज किया विवाहित महिला आरोप नहीं लगा सकती कि अन्य पुरुष ने शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनायाचूंकि महिला का तलाक नहीं हुआ है, इस कारण वो अन्य के साथ विवाह करने के योग्य नहीं है

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए बेहद महत्वपूर्ण आदेश दिया है कि एक महिला जो पहले से ही किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह के रिश्ते में है, वह इस बात का दावा नहीं कर सकती है कि उसे शादी का प्रलोभन देकर किसी अन्य पुरुष ने यौन संबंध बनाने के लिए झांसा दिया।

इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पुरुष के खिलाफ उसके शादीशुदा लिव-इन पार्टनर द्वारा रेप का आरोप लगाये जाने को खारिज कर दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करती हुई जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि अगर किसी अविवाहित महिला को किसी व्यक्ति द्वारा शादी के झूठे वादे के तहत यौन संबंध बनाने के लिए धोखा दिया जाता है तो यह मामला निश्चित तौर पर कानून के नजरिये से बलात्कार के दायरे में आयेगा।

हालांकि, इस केस में पीड़िता पहले से ही किसी अन्य पुरुष के साथ वैवाहिक रिश्ते में है। इस कारण से वो कानूनी रूप से किसी अन्य के साथ विवाह करने के योग्य नहीं है, तो फिर उसे कैसे शादी के झूठे बहाने के तहत यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। शादीशुदा महिला का दावा कोर्ट नहीं मान सकती कि उसे किसी अन्य पुरुष ने शादी का झांसा देकर यौन संबंध स्थापित किया।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, "इस प्रकार इस केस में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत शादीशुदा महिला को सुरक्षा और कानूनी सहायता नहीं दी जा सकती है, जो कि कानूनी तौर पर उस व्यक्ति से शादी करने की हकदार नहीं है, जिसके साथ वह यौन संबंध में थी।"

अदालत ने स्पष्ट किया कि धारा 376 तब लागू होती है, जब पीड़िता यह साबित करे कि उन्हें आरोपी ने यौन संबंध बनाने के लिए उस वक्त गुमराह किया, जब वो कानूनी तौर पर उससे शादी करने के योग्य थी।

कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे मामले में आई है, जिसमें पूर्व में शादीशुदा महिला-पुरुष लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रह रहे थे, जबकि कानूनी रूप से दोनों अलग-अलग जीवनसाथी के साथ विवाहित थे।

इस केस में शामिल महिला ने आरोप था लगाया कि आरोपी युवक ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में बलात्कार सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह पता चला कि महिला पहले से ही शादीशुदा थी और उसका तलाक का मामला अदालत में लंबित था। उसने दावा किया कि उस आदमी ने शुरू में खुद को अविवाहित बताया और उससे शादी करने का वादा किया।

जस्टिस शर्मा ने मामले की सुनवाई करते हुए समाज में ऐसे रिश्तों की वैधता और नैतिकता पर भी जोर दिया और कहा कि अदालतों को सहमति से साथ रहने वाले वयस्कों पर अपने नैतिक फैसले नहीं थोपने चाहिए, जब तक कि उनकी पसंद मौजूदा कानूनी ढांचे का उल्लंघन नहीं करती है।

Web Title: Delhi High Court: Married woman cannot accuse live-in partner of rape

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