उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा: ओटीपी जैसे सुझावों पर ध्यान दें ताकि आधार का दुरुपयोग रोका जा सके
By भाषा | Published: February 14, 2020 12:47 AM2020-02-14T00:47:51+5:302020-02-14T00:47:51+5:30
अदालत ने आधार नंबर जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को भी निर्देश दिया कि दुरुपयोग की स्थिति में इसे कानून के मुताबिक और हर मामले के तथ्यों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए। इस निर्देश के साथ ही पीठ ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र को निर्देश दिया कि आधार संबंधी सूचना के दुरुपयोग को रोकने के लिए बायोमीट्रिक्स के प्रयोग के बजाए अदालत के सहयोगी की तरफ से बताए गए ओटीपी प्रमाणीकरण जैसे सुझावों पर ‘‘ध्यान दे।’’
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा, ‘‘आप (केंद्र) अदालत के सहयोगी के सुझावों पर ध्यान दें।’’
अदालत ने आधार नंबर जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को भी निर्देश दिया कि दुरुपयोग की स्थिति में इसे कानून के मुताबिक और हर मामले के तथ्यों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए। इस निर्देश के साथ ही पीठ ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया।
उच्च न्यायालय ने एक आपराधिक मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी जिसमें मोबाइल दुकान के एक मालिक ने अनभिज्ञ ग्राहकों के ब्यौरे का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की गतिविधियों में इस्तेमाल के लिए नये सिम कार्ड जारी किए।
उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका का स्वत: संज्ञान लेते हुए गौर किया कि दुकान मालिक आधार पुष्टिकरण के दौरान ग्राहकों का मशीन पर दो बार अंगूठा यह कहकर लगवाता था कि पहली बार में उपयुक्त तरीके से अंगूठा नहीं लगा और दूसरी बार अंगूठा लगवाकर किसी तीसरे पक्ष को नया सिम कार्ड जारी करता था।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने मामले में सहयोग के लिए वरिष्ठ वकील दया कृष्णन और वकील ऋषभ अग्रवाल को अदालत का सहयोगी नियुक्त किया था।
अदालत का सहयोग करने वाले वकीलों ने यूआईडीएआई को सुझाव दिया कि बायोमेट्रिक्स के बजाए ओटीपी प्रमाणीकरण पर विचार करें।