Delhi Election Results: आपस में लड़ेंगे तो कटेंगे?, ‘सामना’ संपादकीय में कहा-आप-कांग्रेस एक-दूसरे को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी और मोदी-शाह के लिए जगह बनी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 10, 2025 13:37 IST2025-02-10T13:36:17+5:302025-02-10T13:37:48+5:30
Delhi Election Results: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह सवाल उठाया गया कि अगर विपक्षी दलों के गठबंधन के घटक दल भाजपा के बजाय एक दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे तो गठबंधन की क्या जरूरत है।

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Delhi Election Results: शिवसेना (उबाठा) ने सोमवार को दावा किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के एक-दूसरे से लड़ने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत में फायदा मिला। आप और कांग्रेस विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सदस्य हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह सवाल उठाया गया कि अगर विपक्षी दलों के गठबंधन के घटक दल भाजपा के बजाय एक दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे तो गठबंधन की क्या जरूरत है।
भाजपा ने हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 48 सीट जीतकर आप को शिकस्त दी। आप को केवल 22 सीट मिली, जबकि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे उसके शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी में एक भी सीट नहीं जीत पाई।
‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया, ‘‘आप और कांग्रेस दोनों ने दिल्ली में एक-दूसरे को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी। इससे मोदी-शाह के लिए जगह बनी। अगर इसी तरह काम करना है तो गठबंधन वगैरह क्यों बनाया जाए? जी भर के लडो़!’’ विपक्षी दलों के बीच इसी तरह की असहमति के कारण महाराष्ट्र में (2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने जीत हासिल की) पहले ही झटके लग चुके हैं। मराठी दैनिक ने दावा किया कि दिल्ली चुनाव परिणामों से सीख नहीं लेने से मोदी और शाह के तहत ‘‘निरंकुश शासन’’ को और मजबूती मिलेगी।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली आप और कांग्रेस की हार पर शनिवार को कटाक्ष किया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, ‘‘और लड़ो आपस में।’’ अब्दुल्ला की टिप्पणियों का हवाला देते हुए ‘सामना’ में दावा किया गया कि कांग्रेस ने दिल्ली में कम से कम 14 सीट पर आप की हार में सक्रिय रूप से योगदान दिया, जिसे टाला जा सकता था। संपादकीय में दावा किया गया है कि हरियाणा में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी (पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान, जिसमें भाजपा ने जीत हासिल की थी) और पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी में कोई छिपी हुई ताकतें हैं, जो हमेशा राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं?
संपादकीय में केजरीवाल के खिलाफ अन्ना हजारे की टिप्पणियों की भी आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया है कि वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने कभी केजरीवाल के राजनीति में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया था। पिछले महीने हजारे ने दिल्ली के मतदाताओं से स्वच्छ चरित्र और विचारों वाले लोगों को वोट देने का आग्रह किया था, जो देश के लिए बलिदान दे सकें और अपमान को सहन कर सकें।