दिल्ली की कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को भेजा समन, 2 अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में बतौर मतदाता थीं पंजीकृत
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 5, 2023 03:49 PM2023-09-05T15:49:42+5:302023-09-05T15:55:04+5:30
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवार को दिल्ली की अदालत ने मतदाता रजिस्टर में गड़बड़ी करने के आरोप में समन भेजा है।
नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवार को दिल्ली की अदालत ने मतदाता रजिस्टर में गड़बड़ी करने के आरोप में समन भेजा है। खबरों के अनुसार सीएम केजरीवाल की पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) कानून का उल्लंघन किया है।
बताया जा रहा है कि सुनीता केजरीवाल पर आरोप है कि उनका एक साथ दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में नाम अंकित है। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने आरोपों को गंभीर मानते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा, “इस कोर्ट के विचार में प्रथम दृष्टया सुनीता केजरीवाल के खिलाफ अपराध बनता है। इसलिए उन्हें कथित अपराध के संबंध में कोर्ट में 18 नवंबर को पेश होना होगा।"
सुनीता केजरीवाल के खिलाफ अदालत में जमा की गई दो गवाहों की कथित मतदाता सूचियों के अनुसार सुनीता केजरीवाल का नाम दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है और साथ में उनका नाम उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र में भी पंजीकृत है। मामले में शिकायतकर्ता दिल्ली भाजपा के सचिव हरीश खुराना द्वारा अदालत में दिये गये दस्तावेजों पर संज्ञान लिया गया है।
नियमों की बात करें तो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (1950) की धारा 17 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं हो सकता है और अगर ऐसा होता है तो यह एक दंडनीय अपराध है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी सुनीता केजरीवाल को आरोपों के संबंध में समन करने के लिए कोई 'स्पष्ट कारण' बताने की आवश्यकता नहीं है और मजिस्ट्रेट को समन आदेश पारित करते समय प्रथम दृष्टया आरोपों पर ध्यान केंद्रित करके किया गया है।