अब प्राइवेट कंपनियां भी बनाएंगी गोला-बारूद और मिसाइल, रक्षा मंत्रालय उठाया बड़ा कदम

By अंजली चौहान | Updated: October 5, 2025 09:09 IST2025-10-05T09:07:30+5:302025-10-05T09:09:12+5:30

Defence Ministry News: भारत को लंबी दूरी की पारंपरिक मिसाइलों की आवश्यकता होने से आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिला

Defence Ministry has taken Decision Now private companies will also manufacture ammunition and missiles | अब प्राइवेट कंपनियां भी बनाएंगी गोला-बारूद और मिसाइल, रक्षा मंत्रालय उठाया बड़ा कदम

अब प्राइवेट कंपनियां भी बनाएंगी गोला-बारूद और मिसाइल, रक्षा मंत्रालय उठाया बड़ा कदम

Defence Ministry News: ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए मिसाइलों, तोपों, गोला-बारूद बनाने का काम निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है। दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने मिसाइलों, तोपों, गोला-बारूद और आयुधों के विकास और निर्माण को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है ताकि भारत दीर्घकालिक युद्धों में अपनी मारक क्षमता की कमी महसूस न करे। यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक कदम है।

हालांकि सरकार इस कदम के बारे में कुछ नहीं कह रही है, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राजस्व खरीद नियमावली (आरपीएम) में एक संशोधन किया गया है, जिसके तहत बम और गोला-बारूद के निर्माण में शामिल किसी भी निजी संस्था के लिए गोला-बारूद इकाई स्थापित करने से पहले सरकारी रक्षा कंपनी म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेने की अनिवार्य आवश्यकता को हटा दिया गया है।

इसका मतलब है कि निजी क्षेत्र को 105 मिमी, 130 मिमी, 150 मिमी तोपों के गोले, पिनाका मिसाइलें, 1000 पाउंड के बम, मोर्टार बम, हथगोले और मध्यम एवं छोटे कैलिबर के गोला-बारूद बनाने की अनुमति होगी, जैसा कि इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।

इसके अलावा, हिंदुस्तान टाइम्स को पता चला है कि रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को पत्र लिखकर मिसाइलों के विकास और एकीकरण को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की अपनी मंशा से अवगत कराया है क्योंकि सरकारी स्वामित्व वाली भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी कंपनियाँ अकेले भारतीय सशस्त्र बलों की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकतीं।

मिसाइल क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया है कि भविष्य स्टैंड-ऑफ हथियारों और लंबी दूरी की पारंपरिक मिसाइलों का है, जैसा कि ऊपर उद्धृत लोगों ने बताया। DRDO के अधीन BDL और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) मिसाइलों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों जैसे आकाश, अस्त्र, कोंकर्स, मिलान और टॉरपीडो के एकमात्र निर्माता हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा लंबी दूरी की चीनी हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और रॉकेटों का इस्तेमाल करने के मद्देनजर, मोदी सरकार का आकलन है कि भारतीय निजी कंपनियों को पारंपरिक मिसाइल विकास में कदम रखना चाहिए और रणनीतिक मिसाइल विकास का काम पूरी तरह से DRDO के अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को ब्रह्मोस, निर्बाय, प्रलय और शौर्य जैसी और अधिक पारंपरिक मिसाइलों की आवश्यकता है क्योंकि भविष्य की लड़ाइयाँ केवल गतिरोधक हथियारों और मिसाइल-रोधी रक्षा से ही लड़ी जाएँगी क्योंकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के आगमन के साथ लड़ाकू विमानों के दिन अब लद गए हैं।

इसका प्रमाण भारतीय S-400 प्रणाली द्वारा 10 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान झड़पों के चरम पर पाकिस्तानी पंजाब में 314 किलोमीटर अंदर एक पाकिस्तानी ELINT विमान (SAAB AEW या डसॉल्ट DAC 20 ELINT) को मार गिराने से मिला।

रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल और गोला-बारूद दोनों क्षेत्रों को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है ताकि लंबे युद्ध की स्थिति में भारतीय सशस्त्र बलों के पास गोला-बारूद की कमी न हो और उन्हें कम समय में विदेशी विक्रेताओं से उच्च मूल्य पर गोला-बारूद खरीदने के लिए मजबूर न होना पड़े।

यूक्रेन युद्ध में रूस और पश्चिमी देशों के शामिल होने और गाजा युद्ध में मध्य-पूर्व और इज़राइल के शामिल होने के कारण, मिसाइलों और गोला-बारूद की माँग बहुत अधिक है। दूसरी ओर, पाकिस्तान के युद्ध प्रयासों के लिए चीन एक स्थायी आपूर्तिकर्ता है।

Web Title: Defence Ministry has taken Decision Now private companies will also manufacture ammunition and missiles

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे