मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में 1 सितंबर को अहम फैसला, जानें मामले से जुड़ा घटनाक्रम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 29, 2020 09:46 AM2020-08-29T09:46:16+5:302020-08-29T09:46:16+5:30

मुख्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई कब की जाए और अंतरिम स्थगिति दी जाए या नहीं, इस पर भी पीठ ने एक सितंबर की तारीख तय की है।

decision on Maratha reservation on 1 September in Supreme Court | मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में 1 सितंबर को अहम फैसला, जानें मामले से जुड़ा घटनाक्रम

मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में 1 सितंबर को अहम फैसला। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमराठा आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली जिरह एक सितंबर को होगी।अदालत का फैसला अहम होगा और उस पर मराठा आरक्षण का भविष्य तय होगा।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण के कानून को वैध ठहराने वाले हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करने के पहले कुछ अति महत्वपूर्ण सहायक कानूनी मुद्दों को निर्णय के लिए 11 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं, इस पर तीन दिन तक चली जिरह शुक्रवार को अधूरी रही। सुप्रीम कोर्ट में अगली जिरह एक सितंबर को होगी।

याचिका में कहा गया है कि इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ का फैसला है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इस मामले में आरक्षण ने 50 प्रतिशत की सीमा पार कर ली है, इसलिए इसे उससे भी बड़ी संविधान पीठ को सौंपी जाए।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। मुख्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई कब की जाए और अंतरिम स्थगिति दी जाए या नहीं, इस पर भी पीठ ने एक सितंबर की तारीख तय की है। ऐसे में लगता है कि उस दिन का अदालत का फैसला अहम होगा और उस पर मराठा आरक्षण का भविष्य तय होगा।

मराठा आरक्षण मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:-

जून 2017: महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के सामाजिक, वित्तीय एवं शैक्षणिक स्थिति के अध्ययन के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया। 

जुलाई 2018: मराठा समुदाय ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में छिटपुट हिंसा की। 

15 नवंबर 2018: आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

30 नवंबर 2018: महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव वाला विधेयक पारित किया, सरकार ने इस समुदाय को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग घोषित किया। 

30 नवंबर 2018: महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने विधेयक को मंजूरी दी। 

03 दिसंबर 2018: बंबई उच्च न्यायालय में आरक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर। इनमें कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अधिक नहीं होने का उल्लंघन है। 

05 दिसंबर 2018: बंबई उच्च न्यायालय ने आरक्षण के फैसले पर अंतरिम रोक से इंकार किया लेकिन याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के लिए रखा। 

18 जनवरी 2019: महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दायर किया, मराठा समुदाय को आरक्षण के फैसले को सही बताया

06 फरवरी 2019: न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की। 

26 मार्च 2019: उच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर दलीलें सुनने का काम पूरा किया। फैसला सुरक्षित रखा। 

27 जून 2019: उच्च न्यायालय ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी लेकिन सरकार से आरक्षण 16 प्रतिशत से घटाकर 12 से 13 प्रतिशत करने को कहा।

Web Title: decision on Maratha reservation on 1 September in Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे