'डेक्कन क्वीन' के 93 वर्ष पूरे, ट्रेन को फूलों से सजाया गया, दो बड़े केक काटकर मनाया गया जन्मदिन, देखें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 1, 2023 04:01 PM2023-06-01T16:01:26+5:302023-06-01T16:09:38+5:30
विज्ञप्ति के मुताबिक, डेक्कन क्वीन में शुरुआत में सिर्फ प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी की सीटें थीं, लेकिन एक जनवरी 1949 को प्रथम श्रेणी को बंद कर दिया गया और द्वितीय श्रेणी को प्रथम श्रेणी में तब्दील कर दिया गया, जो जून 1955 तक परिचालन में रहा, जब ट्रेन में पहली बार तृतीय श्रेणी की सीटें शुरू की गईं।
मुंबईः भारतीय रेलवे की पहली डीलक्स ट्रेन ‘डेक्कन क्वीन’ ने गुरुवार को पुणे और मुंबई के बीच संचालन के 93 वर्ष पूरे कर लिए। डेक्कन क्वीन के पुणे रेलवे स्टेशन से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की तरफ रवाना होने से पहले रेल प्रेमियों और अधिकारियों ने बेहद उत्साह के साथ दो बड़े केक काटकर ट्रेन का जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल भी पुणे रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे।
मध्य रेलवे ने कहा, “93 वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास में यह ट्रेन दोनों शहरों को जोड़ने वाली एक परिवहन सेवा से ऊपर उठकर वफादार यात्रियों की एक पीढ़ी को आपस में बांधने वाले संस्थान के रूप में उभरी है।” इस खास दिन के लिए डेक्कन क्वीन को रंग-बिरंगे फूलों की मालाओं से सजाया गया था, वहीं ट्रेन जिस प्लेटफॉर्म से रवाना हुई, उसके प्रवेश द्वारा पर आकर्षक रंगोली उकेरी गई थी और संगीत की भी व्यवस्था की गई थी। मध्य रेलवे की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, डेक्कन क्वीन एक जून 1930 को पटरी पर उतरी थी, जो ग्रेट इंडियन पेनिनसुला (जीआईपी) रेलवे के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर था।
Happy Birthday Deccan Queen Express , Birthday celebration of Deccan Queen Express at Pune Junction@Central_Railway@drmpune@drmmumbaicr@GM_CRly@ChDadaPatilpic.twitter.com/TgXNTJJL8G
— Pushkar Khamitkar (@i_m_pushkar5) June 1, 2023
विज्ञप्ति में कहा गया है कि डेक्कन क्वीन, क्षेत्र के दो अहम शहरों-पुणे और मुंबई को जोड़ने वाली पहली डीलक्स ट्रेन थी और इसका नाम पुणे के नाम पर रखा गया था, जिसे ‘दक्खन की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है। विज्ञप्ति के अनुसार, शुरुआत में सात डिब्बों वाली दो ट्रेन (रेक) पेश की गई थीं, जिनमें से एक सिल्वर रंग की थी, जिस पर लाल धारियां उकेरी गई थीं, जबकि दूसरी नीले रंग की थी और उस पर सुनहरे रंग की धारियां बनी हुई थीं। विज्ञप्ति में कहा गया है, “मूल रेक का निचला हिस्सा इंग्लैंड में बनाया गया था, जबकि इसके डिब्बे मुंबई में जीआईपी रेलवे के माटुंगा कारखाने में तैयार किए गए थे।”
Our beloved Deccan Queen turns 94 today. DQ is very close to heart for many of us. Many pleasent memories are associated with this iconic train. pic.twitter.com/caN9igE0xS
— Abhijit Deosthale (@deosthale2703) June 1, 2023
विज्ञप्ति के मुताबिक, डेक्कन क्वीन में शुरुआत में सिर्फ प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी की सीटें थीं, लेकिन एक जनवरी 1949 को प्रथम श्रेणी को बंद कर दिया गया और द्वितीय श्रेणी को प्रथम श्रेणी में तब्दील कर दिया गया, जो जून 1955 तक परिचालन में रहा, जब ट्रेन में पहली बार तृतीय श्रेणी की सीटें शुरू की गईं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि 1966 में मूल रेक को तमिलनाडु के पेरम्बुर स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी में निर्मित इस्पात (स्टील) के आवरण वाले ‘एंटी-टेलीस्कोपिक इंटीग्रल कोच’ से बदल दिया गया, जो यात्रा के लिहाज से ज्यादा आरामदायक और सुविधाजनक थे।
Happy 93rd Birthday to the OG Queen!
— Mihir Sontakke (@sontakke_mihir) June 1, 2023
दख्खन की रानी❤️#DeccanQueenpic.twitter.com/i1cKGZ8dUF
विज्ञप्ति के अनुसार, ट्रेन में डिब्बों की संख्या भी मूल रेक के सात डिब्बों से बढ़ाकर 12 कर दी गई, जिससे यह अधिक यात्रियों को ढोने में सक्षम हो गई। बाद के वर्षों में ट्रेन में डिब्बों की संख्या बढ़ाने का सिलसिला जारी रहा और मौजूदा समय में यह 16 डिब्बों से लैस है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले साल से डेक्कन क्वीन नए ‘लिंक हॉफमैन बुश’ (एलएचबी) कोच के साथ संचालित की जा रही है, जिसे पुराने डिब्बों से ज्यादा सुरक्षित और आरामदायक माना जाता है। एलएचबी कोच में जगह और इसकी गति भी ज्यादा होती है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, डेक्कन क्वीन भारत की एकमात्र ऐसी ट्रेन है, जिसमें 32 यात्रियों को आरामदायक कुर्सी-टेबल पर बैठकर खाने का लुत्फ उठाने की सुविधा देने वाली ‘डाइनिंग कार’ मौजूद है। इस ‘डाइनिंग कार’ में माइक्रोवेव ओवन, डीप फ्रीजर और टोस्टर जैसी आधुनिक पैंट्री सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। विज्ञप्ति में बताया गया है कि डेक्कन क्वीन की ‘डाइनिंग कार’ और उसका बाहरी हिस्सा अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन ने जनता से मिले सुझावों के आधार पर रेलवे बोर्ड, इंटीग्रल कोच फैक्टरी (चेन्नई), रिसर्च, डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) और मध्य रेलवे के अधिकारियों के साथ मिलकर तैयार किया है।