कोविड-19 से मौत के बाद परिवार ने शव को दफनाया, जिंदा होकर वापस लौटी महिला! जानें पूरा मामला
By दीप्ती कुमारी | Updated: June 4, 2021 11:06 IST2021-06-04T11:06:46+5:302021-06-04T11:06:46+5:30
आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में एक अजीबोगरीब मामला आया है। इस बारे में सुनकर हर कोई हैरान है। यहां एक महिला कई दिनों बाद वापस अपने घर लौट आई जबकि परिवार वालों ने उसे मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।

मृत मानकर जिसका परिवार वालों ने किया अंतिम संस्कार, फिर जिंदा लौटी महिला (सोशल मीडिया)
हैदराबाद: आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के क्रिश्चियनपेट गांव से एक अजीबोगरीब मामला सामने आ रहा है। यहां जिस महिला को मृत मानकर परिवार वालों ने दफना दिया था, वह जिंदा अपने घर पहुंच गई। इस घटना से गांव के सभी लोग हैरान है।
दरअसल 15 मई को मुथ्याला गडय्या ने अपनी पत्नी के ढके हुए शरीर को दफनाया। महिला के परिवार वालों ने मान लिया कि उनका कोरोना से निधन हो गया। हालांकि करीब 15 दिन बाद 2 जून को महिला अचानक घर वापस आ गई और सभी लोग उसे देखकर हैरान रह गए।
75 वर्षीय महिला की पहचान गिरिजाम्मा के रूप में हुई है । गिरिजाम्मा को कोरोना संक्रमित होने के बाद 12 मई को विजयवाड़ा के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।
मरी हुई महिला कैसे हुई जिंदा, क्या है पूरा मामला
दरअसल महिला के पति ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था और घर वापस लौट आया था। 15 मई को वह अपनी पत्नी के स्वास्थ्य जांच के लिए द्वारा अस्पताल गया। वहां उसे पता चला उसकी पत्नी अपने बिस्तर से गायब है ।
अस्पताल के कर्मचारियों ने उस व्यक्ति से कहा कि शायद उसे किसी दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया होगा लेकिन जब गडय्या ने अपनी पत्नी को अस्पताल के किसी बेड पर नहीं पाया तो कर्मचारियों ने उन्हें मुर्दाघर जांच करने के लिए कहा ।
अंत में अस्पताल के मोर्चरी में उन्हें एक बुजुर्ग महिला का शव कपड़े में लपेटकर सौंपा गया। बुजुर्ग व्यक्ति ने उसे अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर समझा और लेकर अपने गांव आ गया। साथ ही उसी दिन अंतिम संस्कार किया गया।
कुछ दिनों बाद 23 मई को उनके 35 वर्षीय बेटे मुथत्याला रमेश की भी कोरोना से खम्मम जिला अस्पताल में मृत्यु हो गई । यह परिवार के लिए दूसरा बड़ा सदमा था।
इसके बाद परिवार ने 1 जून को गिरिजम्मा और रमेश दोनों के लिए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया और उसके अगले ही दिन गिरिजम्मा वापस लौट आई ।
गिरिजम्मा के अनुसार वो अस्पताल में दुखी और निराश थी कि ठीक होने के बाद भी कोई उन्हें घर लेने नहीं आया था । उन्होंने बताया कि इसके बाद अस्पताल की ओर से उसे घर लौटने के लिए 3000 रूपये दिए गए।
वहीं, उनके परिवार और गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने संक्रमण के डर से शव को लपेटे हुए ही दफना दिया । वहीं जग्गैयापेट के सब इंस्पेक्टर केवी रामा राव ने कहा कि विजयवाड़ा अस्पताल की गलती के लिए अस्पताल के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है।