कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट को लेकर अस्पताल के शोध में चौंकाने वाला खुलासा, आठ गुना कम असरदार है वैक्सीन
By अभिषेक पारीक | Updated: July 5, 2021 21:39 IST2021-07-05T21:14:12+5:302021-07-05T21:39:35+5:30
कोविड-19 महामारी की तीसरी महामारी की आशंका को डेल्टा वेरिएंट ने और बढ़ा दिया है। एक नए शोध ने डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
कोविड-19 महामारी की तीसरी महामारी की आशंका को डेल्टा वेरिएंट ने और बढ़ा दिया है। एक नए शोध ने डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। इसके मुताबिक सार्स-सीओवी-2 का डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी को आठ गुना कम कर देता है। इसका मतलब है कि कोविड-19 वैक्सीन वुहान वेरिएंट की तुलना में डेल्टा वेरिएंट पर आठ गुना कम प्रभावी है।
बी1.617.2 या डेल्टा वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले से ही वेरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में सूचीबद्ध किया है। अध्ययन में दावा किया गया है कि पहले से संक्रमित व्यक्तियों में एंटीबॉडी को बेअसर करने और वायरस के प्रसार में वृद्धि की वजह से भारत में डेल्टा वेरिएंट ने अधिकतर लोगों को अपनी चपेट में लिया।
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में किए गए अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि कोविड -19 से ठीक हुए रोगियों में पाए जाने वाले एंटीबॉडी को बेअसर करने के लिए डेल्टा संस्करण कम संवेदनशील है।
प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका
शोध में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट ने पुनः संक्रमण और दूसरों तक महामारी पहुंचाने की क्षमता के कारण कोविड-19 के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि वैक्सीनेशन करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में प्रसार समूह डेल्टा समूह से जुड़े पाए गए हैं।
स्वास्थ्यकर्मियों में किया विश्लेषण
शोध के मुताबिक, भारत में स्थित तीन केंद्रों में 100 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों में वैक्सीन को लेकर विश्लेषण किया गया। जिसमें सामने आया कि डेल्टा वेरिएंट न केवल गैर-डेल्टा संक्रमणों की तुलना में उच्च वायरल लोड के साथ वैक्सीन पर हावी है, बल्कि बी.1.1.7 या बी.1.617.1 की तुलना में स्वास्थ्यकर्मियों के बीच अधिक प्रसार करता है।
पिछले साल सामने आया था डेल्टा वेरिएंट
डेल्टा वेरिएंट साल 2020 के आखिर में महाराष्ट्र में सामने आया था। जिसके बाद से यह पूरे भारत में फैल गया। एक अध्ययन में सामने आया है कि डेल्टा संस्करण ने अपने स्पाइक प्रोटीन को बढ़ाया है। यह वायरस को फेफड़ों की एपिथेलियल सैल से जुड़ने में सक्षम बनाता है और वुहान वायरस की तुलना में ज्यादा लोगों को संक्रमित करने में सक्षम होता है।