सबरीमला मंदिर पर फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 13 नवंबर को करेगा सुनवाई

By भाषा | Published: October 23, 2018 01:08 PM2018-10-23T13:08:15+5:302018-10-23T13:24:32+5:30

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के बावजूद केरल के सबरीमला मंदिर में रजस्वला महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया। सबरीमला मंदिर के कपाट सोमवार (22 अक्टूबर) को बंद हो चुके हैं।

Court to hear 19 petitions challenging Sabarimala verdict on November 13 | सबरीमला मंदिर पर फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 13 नवंबर को करेगा सुनवाई

भगवान अयप्पा का सबरीमला मंदिर केरल के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में एक है। (लोकमत ग्राफिक्स)

नयी दिल्ली , 23 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी उसके फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करेगा। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा से कहा कि उसने याचिकाओं को 13 नवंबर को सूचीबद्ध करने के संबंध में पहले ही आदेश पारित कर दिया है। 

इससे पहले न्यायालय ने कहा था कि मामले में नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन और अन्य द्वारा दायर की गई 19 पुनर्विचार याचिकाएं लंबित हैं जिनमें उसके फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है। 

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के अनुपात से दिए गए अपने फैसले में कहा था कि केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए। 

केरल के विभिन्न समुदायों और राजनीतिक पार्टियों का रुख सबरीमला को लेकर बंटा हुआ है।

बंद हो गए सबरीमला के कपाट

सोमवार (22 अक्टूबर) को सबरीमला मंदिर के कपाट कपाट बंद कर दिए गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पिछले छह दिनों में कोई भी रजस्वला महिला मंदिर में नहीं प्रवेश कर सकी। 

10 से 50 आयु वर्ग की करीब एक दर्जन महिलाओं ने मंदिर में जाकर दर्शन करने की कोशिश की लेकिन खुद को भगवान अयप्पा के श्रद्धालू बताने वालों की भीड़ के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा। 

सबरीमला मंदिर में ‘दर्शन’ के आखिरी दिन, सोमवार को ‘‘रजस्वला’’ आयुवर्ग की एक और महिला बिंदू ने मंदिर में प्रवेश का प्रयास किया लेकिन प्रदर्शनकारियों के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा।

अधिकारियों ने कहा कि दलित कार्यकर्ता बिंदू पहाड़ी पर स्थित सबरीमला मंदिर के निचले हिस्से में स्थित पम्बा की ओर बढ़ रही थी। पम्बा से ही श्रद्धालु मंदिर के लिए पांच किलोमीटर की चढ़ाई शुरू करते हैं। दलित कार्यकर्ता को उनके अनुरोध पर पुलिस संरक्षण प्रदान किया गया।

बिंदू केरल राज्य परिवहन निगम की बस में पुलिसकर्मियों के साथ सफर कर रही थीं। बस जब पम्बा पहुंचने वाली थी, “नैश्तिक ब्रह्मचारी” के मंदिर में 10 से 50 साल की आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं और भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सड़क बाधित कर दिया और उन्हें बस से उतरने के लिए बाध्य कर दिया।

‘मेलसंति’ या मुख्य पुजारी और अन्य पुजारी भगवान अयप्पा की प्रतिमा के दोनों तरफ खड़े थे और ‘हरिवर्षनम’ का गायन किया और कार्यक्रम के बीच में पूजा स्थल के दीपों को बुझाना शुरू कर दिया। गायन के अंतिम पंक्ति के साथ ही कपाट को बंद कर दिया गया। 

Web Title: Court to hear 19 petitions challenging Sabarimala verdict on November 13

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