न्यायालय ने सजा पूरी होने से पहले रिहायी की अर्जियां लंबित होने का लिया संज्ञान, राज्यों से रिपोर्ट एनएएलएसए को सौंपने को कहा

By भाषा | Updated: February 2, 2021 21:50 IST2021-02-02T21:50:06+5:302021-02-02T21:50:06+5:30

Court takes cognizance of pending stay applications before completion of sentence, asks states to submit report to NALSA | न्यायालय ने सजा पूरी होने से पहले रिहायी की अर्जियां लंबित होने का लिया संज्ञान, राज्यों से रिपोर्ट एनएएलएसए को सौंपने को कहा

न्यायालय ने सजा पूरी होने से पहले रिहायी की अर्जियां लंबित होने का लिया संज्ञान, राज्यों से रिपोर्ट एनएएलएसए को सौंपने को कहा

नयी दिल्ली, दो फरवरी उच्चतम न्यायालय ने दोषियों द्वारा सजा पूरी होने से पहले रिहायी के लिए दायर आवेदनों के लंबित रहने को संज्ञान में लिया है और राज्यों से कहा है कि वे इस मुद्दे पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कैदियों को उपलब्ध उपाय, विशेष तौर पर सजा पूरी होने से पहले रिहायी, के संबंध में जल्द से जल्द उपलब्ध कराये जाने चाहिए। न्यायालय ने कहा कि राज्यों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से अपनी रिपोर्ट एनएएलएसए को प्रस्तुत करनी चाहिए।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने एनएएलएसए रिपोर्ट के साथ दायर किये गए आंकड़ों को संदर्भित किया, जिसके अनुसार सजा पूरी होने से पहले रिहायी के लिए दोषियों के 1,649 आवेदन लंबित हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘यह सत्यापित किया जाना चाहिए कि ये आवेदन कब से लंबित हैं ताकि हमें इस मुद्दे पर जानकारी प्राप्त हो सके।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह भी पाते हैं कि 431 कैदियों ने सजा पूरी होने से पहले रिहाई के लिए आवेदन नहीं किया है और हो सकता है कि वे अपने अधिकारों के बारे में अवगत नहीं हों। इस उद्देश्य के लिए हमने वर्तमान मामले में उन दिशा-निर्देशों को पारित किया है जो छत्तीसगढ़ से संबंधित हैं लेकिन सिद्धांत सभी जगह लागू होते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ से उत्पन्न एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया जिसमें याचिकाकर्ता ने मार्च 2017 में 14 साल की सजा पूरी कर ली थी, लेकिन उसे अक्टूबर 2020 में जेल से रिहा किया गया जब उसकी सजा पूरी होने से पहले रिहाई के लिए याचिका स्वीकार की गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि इस तरह के मामलों में जेल अधीक्षक को ऐसे सभी मामलों पर गौर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कैदी को बचाव के लिए उपाय उपलब्ध हो।’’

पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता की अर्जी ढाई साल के बाद सितंबर 2019 में भेजी गई थी और उसके बाद, इसे स्वीकार करने के लिए राज्य के गृह विभाग को एक साल और लग गए और आखिरकार उसे पिछले साल अक्टूबर में जेल से रिहा कर किया गया।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम छत्तीसगढ़ राज्य से कहते हैं कि वे एक हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उनके पास क्या प्रक्रिया है, या वे प्रस्ताव करते हैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि नियमों के अनुसार 14 साल की सजा पूरी करने के तुरंत बाद, जेल अधीक्षक इसके लिए जिम्मेदार हों कि वे उपरोक्त सजा पूरी होने की तारीख से एक महीने से पहले अर्जी विचाराधीन भेजें।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह भी चाहते हैं कि समयसीमा तय की जाए, जिसके तहत इस तरह के आवेदन को गृह विभाग द्वारा संसाधित किया जाए और इसमें वर्तमान मामले के विपरीत दो से तीन महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए, जिसमें एक साल का समय लगा। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी स्थितियां कम से कम उत्पन्न न हों।’’ पीठ ने कहा कि यह हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दायर किया जाना चाहिए।

पीठ ने एनएएलएसए की ओर से अदालत की सहायता कर रहे वकील गौरव अग्रवाल से कहा कि यह सुनिश्चित करें उसका आदेश सभी राज्यों को अनुपालन के लिए प्रसारित किया जाए और ‘‘विभिन्न राज्यों को अपनी रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से एनएएलएसए को सौंपनी चाहिए, जो तब हमारे समक्ष इसको लेकर चीजें रख सकता है कि प्रक्रिया को कैसे सुव्यवस्थित किया जाए।

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Web Title: Court takes cognizance of pending stay applications before completion of sentence, asks states to submit report to NALSA

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