न्यायालय ने पश्चिम बंगाल से पलायन रोकने की याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: May 25, 2021 14:32 IST2021-05-25T14:32:55+5:302021-05-25T14:32:55+5:30

Court seeks response from Center, state government on plea to stop migration from West Bengal | न्यायालय ने पश्चिम बंगाल से पलायन रोकने की याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार से जवाब मांगा

न्यायालय ने पश्चिम बंगाल से पलायन रोकने की याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 25 मई उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की वजह से राज्य से लोगों के कथित पलायन को रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा।

इस याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि ‘‘राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित’’ हिंसा के कारण राज्य से लोगों का कथित पलायन रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं तथा इसकी जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया जाए और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।’’

न्यायमूर्ति विनीत शरण तथा न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अवकाश पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) तथा राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को इस मामले में पक्षकार बनाने का भी निर्देश दिया। इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि एनएचआरसी तथा एनसीडब्ल्यू ने पश्चिम बंगाल में लोगों की स्थिति का जायजा लिया है।

न्यायालय ने कहा कि केंद्र तथा पश्चिम बंगाल इस मामले में जवाब दें। इसके साथ ही उसने कहा कि याचिका पर सात जून से आरंभ हो रहे सप्ताह में सुनवाई की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और चुनाव बाद हिंसा का कथित पीड़ित शामिल है। वीडियो कॉन्फ्रेस के माध्यम से हुई संक्षिप्त सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के कारण एक लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

आनंद ने कहा कि एनएचआरसी तथा एनसीडब्ल्यू जैसे कई आयोगों ने राज्य में हालात का जायजा लिया है और इस मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए।

इस पर पीठ ने आनंद से आज ही इस बारे में आवेदन देने के लिये कहा और आयोगों को मामले में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी।

आनंद ने पीठ से अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया और कहा कि शिविरों में रह रहे लोगों के पुनर्वास की आवश्यकता है। इस पर पीठ ने कहा कि ‘‘कोई भी एकतरफा निर्देश नहीं दिया जा सकता। हमें दूसरे पक्षकारों की बात भी सुननी होगी। पहले उन्हें जवाब देने दें।’’

इससे पहले 21 मई को शीर्ष अदालत याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हुई थी।

सामाजिक कार्यकर्ता अरूण मुखर्जी तथा अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि दो मई के बाद से पश्चिम बंगाल में हो रही चुनाव बाद हिंसा से वे बहुत व्यथित हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस और राज्य सरकार के गुंडों के बीच मिलीभगत है जिसके कारण पूरी घटना के दौरान पुलिस महज मूकदर्शक बनी रही और उसने पीड़ितों को धमकाया तथा हतोत्साहित किया ताकि वे प्राथमिकी दर्ज नहीं करवाएं।

इसमें कहा गया कि सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पूरे घटनाक्रम को कवर किया गया है और विभिन्न सरकारी संगठनों तथा स्वायत्त संस्थानों मसलन एनएचआरसी तथा एनसीडब्ल्यू ने या तो घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लिया या फिर असहाय पीड़ितों की ओर से शिकायत मिलने पर मामले का संज्ञान लिया और मामले की जांच के लिए अपने दल भेजे।

याचिका में कहा गया है कि ऐसे हालात के कारण लोगों को विस्थापित होना पड़ा और वे बंगाल के भीतर या बाहर आश्रय स्थलों/शिविरों में रहने को मजबूर हैं।

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Web Title: Court seeks response from Center, state government on plea to stop migration from West Bengal

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