नयी दिल्ली, पांच अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हाथ से मैला ढोने संबंधी 2013 के कानून का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। इस कानून का मकसद सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मौत के मामलों को रोकना है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने के लिए वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी के आवेदन को अनुमति प्रदान की। साथ ही जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए सूचीबद्ध की।
पीठ ने कहा, '' हम इस आवेदन को अनुमति प्रदान कर रहे हैं। हम पक्षकार के तौर पर भारत संघ को शामिल कर रहे हैं।''
अपने आवेदन में साहनी ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले द्वारा हाल में राज्यसभा में दिये गए उस बयान का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले पांच साल में हाथ से मैला उठाने के कार्य के चलते किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है।
आवेदन में यह भी कहा गया कि संबंधित मंत्रालय ने फरवरी में बताया था कि पिछले पांच साल में हाथ से मैला ढोने के चलते 340 मौतें दर्ज की गईं।
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