फैसलाः गर्भावस्था के कारण छात्रा को अटेंडेंस में राहत देने से अदालत का इनकार
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 18, 2018 02:41 AM2018-05-18T02:41:16+5:302018-05-18T02:41:16+5:30
अदालत का गर्भावस्था के कारण कक्षाओं से नदारद रहने के लिए छात्रा को राहत देने से इनकार
नई दिल्ली, 18 मईः भारत सरकार ने मैटरनिटी लीव बढ़ाकर भले ही 26 हफ्ते कर दिए हों लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने गर्भावस्था के अंतिम दौर के कारण कक्षाओं से दूर रही दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की द्वितीय वर्ष की एक छात्रा को उपस्थिति में किसी तरह की ढील देने से मना कर दिया है।
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि अदालत ने पाया कि एलएलबी पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर की नियमित कक्षाओं में उपस्थित होने के लिए छात्रा के पास उचित कारण है, इसके बावजूद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के कानूनी शिक्षा नियमों से संबंधित प्रावधानों और उच्च न्यायालय के पूर्व के फैसलों को देखते हुए उसे राहत नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा , ‘‘उपरोक्त कारणों को देखते हुए लंबित याचिका सहित रिट याचिका खारिज की जाती है। ’’
अंकिता मीना नाम की छात्रा ने अपनी याचिका में 16 मई से शुरू हो रही एलएलबी की चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में हिस्सा लेने की मंजूरी के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश देने की मांग की थी। उसने कहा था कि गर्भावस्था के कारण वह जरूरी 70 प्रतिशत उपस्थिति हासिल नहीं कर पायी।
विश्वविद्यालय के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रम एक पेशेवर पाठ्यक्रम है और उसमें व्याख्यानों के लिए नियमित उपस्थिति अनिवार्य है। अदालत ने वकील के दावे से सहमित जतायी कि एलएलबी एक विशेष पेशेवर पाठ्यक्रम है जहां बार काउंसिल के नियमों के तहत ढील नहीं दी जा सकती।
PTI Bhasha Inputs
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