न्यायालय का सुपरटेक के 40 मंजिला दो टॉवरों को तीन माह में गिराने का निर्देश

By भाषा | Published: August 31, 2021 08:14 PM2021-08-31T20:14:44+5:302021-08-31T20:14:44+5:30

Court directs to demolish two towers of 40 storeys of Supertech in three months | न्यायालय का सुपरटेक के 40 मंजिला दो टॉवरों को तीन माह में गिराने का निर्देश

न्यायालय का सुपरटेक के 40 मंजिला दो टॉवरों को तीन माह में गिराने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में सुपरटेक की एमेराल्ड कोर्ट परियोजना के 40 मंजिला दो निर्माणाधीन टॉवरों-एपेक्स और सियेन को नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने के कारण गिराने के मंगलवार को निर्देश दिए। न्यायालय के इस फैसले से नौ साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे गृह क्रेताओं को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इन टॉवरों की वजह से वे धूप और ताजी हवा से वंचित हो रहे थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले से कानून के उल्लंघन में डेवलेपर (सुपरटेक) के साथ योजना प्राधिकरण (नोएडा) की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के वक्त से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए। रेजिडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन को दो टॉवरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएं। गृह क्रेता 2012 में पहली बार इस मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ले गए थे जिसने 11 अप्रैल 2014 के अपने फैसले में जब टॉवरों को गिराने का निर्देश दिया था तब वे निर्माणाधीन थे। इसके बाद सुपरटेक लिमिटेड ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की जिसने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। न्यायालय ने कहा कि नोएडा के सेक्टर 93 ए में स्थित सुपरटेक के 915 फ्लैट और 21 दुकानों वाले 40 मंजिला दो टॉवरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है और उच्च न्यायालय का यह विचार सही था। पीठ ने कहा कि दोनों टॉवरों को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड उठाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाल में उसने देखा है कि मेट्रोपॉलिटन इलाकों में योजना प्राधिकारों के साठगांठ से अनधिकृत निमार्ण तेजी से बढ़ा है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि 26 नवंबर, 2009 को परियोजना की दूसरी संशोधित योजना को मंजूरी देने, भवन नियमों के स्पष्ट उल्लंघन , रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को योजना का खुलासा करने से इनकार करने से नोएडा प्रशासन की मिलीभगत का पता चलता है। पीठ ने कहा कि जब मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने नोएडा को दो टॉवरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकता के उल्लंघन के बारे में लिखा, तो योजना अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की । पीठ ने कहा उच्च न्यायालय ने बिल्डर के साथ नोएडा प्रशासन की मिलीभगत की बात कही थी जो अदालत के समक्ष तथ्यों के रूप में उभरी। पीठ ने कहा, उच्च न्यायालय सही निष्कर्ष पर पहुंचा था कि योजना प्राधिकरण और डेवलपर के बीच मिलीभगत थी।

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