न्यायालय ने परीक्षा में अशक्त लोगों की मदद के लिए ‘उचित दिशानिर्देश’ बनाने को कहा

By भाषा | Updated: February 11, 2021 23:20 IST2021-02-11T23:20:04+5:302021-02-11T23:20:04+5:30

Court asked to formulate 'appropriate guidelines' to help people with disabilities in the exam | न्यायालय ने परीक्षा में अशक्त लोगों की मदद के लिए ‘उचित दिशानिर्देश’ बनाने को कहा

न्यायालय ने परीक्षा में अशक्त लोगों की मदद के लिए ‘उचित दिशानिर्देश’ बनाने को कहा

नयी दिल्ली, 11 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र को परीक्षा में अशक्त लोगों के लिए उत्तर पुस्तिका में लिखने वाले व्यक्ति की सुविधा प्रदान करने के नियमन के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया।

शीर्ष न्यायालय ने सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय (एमएसजेई) के इस विचार पर संज्ञान लिया कि कानून के तहत परिभाषित अशक्तता के अलावा अशक्त जनों को भी परीक्षा में लिखने वाला व्यक्ति उपलब्ध कराया जा सकता है क्योंकि दिशानिर्देश परिपूर्ण नहीं है।

एमएसजेई, अशक्त लोगों के कल्याण के लिए नोडल मंत्रालय है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ‘‘नोडल मंत्रालय के इस विचार से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को अवगत नहीं कराया गया है। वहीं, दूसरी ओर यूपीएससी ने सिविल सेवा...यूपीएससी परीक्षा आयोजित करने के लिए (केंद्र के) कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के नियमों से खुद को पूरी तरह से प्रतिबद्ध मानते हुए विशेष रूप से इस न्यायालय के समक्ष उल्लेख किया है कि अशक्तता के निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करने वाला उम्मीदवार (परीक्षा में) लिखने वाला व्यक्ति (लेखक) पाने का हकदार नहीं होगा। ’’

पीठ ने कहा, ‘‘न्यायलय के समक्ष केंद्र के दो मंत्रालयों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं जो दिखाता है कि नीतिगत समरूपता नहीं है। हमें बहुत ही चिंता के साथ यह कहना पड़ रहा है कि भारत में अशक्त जनों की आबादी को अत्यधिक प्रभावित करने वाले एक नीतिगत विषय पर दोनों को एक दूसरे के निर्णय का पता ही नहीं है।’’

शीर्ष न्यायालय ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवार एवं न्यूरोलॉजिकल विकार से ग्रसित युवक की याचिका पर एमएसजेई को अशक्त जन के अनुकूल कुछ निर्देश भी जारी किये। उसे परीक्षा में उत्तर पुस्तिका में लिखने वाले व्यक्ति की सुविधा प्रदान करने से इनकार कर दिया गया था।

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले को रद्द करते हुए एमबीबीएस स्नातक विकास कुमार की अपील स्वीकार कर ली।

उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के विचारों को मंजूरी देते हुए अपना फैसला सुनाया था।

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Web Title: Court asked to formulate 'appropriate guidelines' to help people with disabilities in the exam

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