कोरोना संकट के लिए रेलवे तैयार, AC कोचों को किया आइसोलेशन वार्ड में तब्दील
By स्वाति सिंह | Updated: March 28, 2020 12:20 IST2020-03-28T11:50:19+5:302020-03-28T12:20:25+5:30
भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन करता है लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी यात्री सेवाएं 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। इसके बाद महामारी से निपटने के लिए रेलवे ने अपने एसी कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने में जुटे है।

बीते हफ्ते खाली डिब्बों और केबिन को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए आईसीयू के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा
नयी दिल्ली: कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए भारतीय रेलवे भी आगे आया है। इस महामारी से निपटने के लिए रेलवे ने अपने एसी कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने में जुटे है। शनिवार को रेलवे ने इसमें सफलता हासिल करते हुए एक डिब्बा आइसोलेशन वार्ड के रूप में तैयार कर लिया। इससे विपरीत परिस्थितियों में हॉस्पिटल में जगह न मिलने पर रेल डिब्बे आइसोलेशन वार्ड के रूप में इस्तेमाल हो सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन करता है लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी यात्री सेवाएं 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। बीते हफ्ते खाली डिब्बों और केबिन को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए आईसीयू के तौर पर इस्तेमाल करने के प्रस्ताव पर रेलमंत्री की रेलवे बोर्ड अध्यक्ष वीके यादव, सभी जोन के महा प्रबंधक और डिविजन रेलवे के प्रबंधकों के साथ बैठक में चर्चा हुई ।
उन्होंने बताया था कि बैठक में शौचालय युक्त डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इस्तेमाल के प्रस्ताव के साथ इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे रेलवे की उत्पादन इकाइयों का उपयोग कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी वस्तुओं जैसे जीवन रक्षक प्रणाली, बिस्तर, ट्रॉली आदि के निर्माण में किया जा सकता है।
Isolation coaches have been prepared by the Indian Railways to fight the #Coronavirus Pandemic. pic.twitter.com/41T9Q71Zdr
— ANI (@ANI) March 28, 2020
बताया जा रहा है कि कि यह विचार मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहे जाने के बाद आया कि वे कोरोना वायरस के चलते चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए नवोन्मेषी उपायों पर काम करें। उन्होंने बताया कि इन डिब्बों और केबिन का इस्तेमाल चलते फिरते अस्पताल के रूप में किया जा सकता है जिसमें परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, गहन चिकित्सा कक्ष और रसोईयान (पैंट्री) की सुविधा होगी। रेलवे का देशभर में विस्तृत नेटवर्क है और रेलगाड़ी में स्थापित अस्पताल उन इलाकों में स्थापित किया जा सकता है जहां पर संक्रमितों की संख्या अधिक हो और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं हो। इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि रेल डिब्बा उत्पादन इकाइयां चिकित्सा सुविधा के अनुकूल डिब्बों में बदलाव कर उत्पादन शुरू कर सकती है।