कोरोना संकट के बीच मुंबई की और बढ़ेगी मुश्किल! शहर के सबसे बड़े प्राइवेट लैब पर बीएमसी ने लगाई रोक
By विनीत कुमार | Published: June 12, 2020 08:58 AM2020-06-12T08:58:27+5:302020-06-12T09:50:00+5:30
बीएमसी ने मुंबई के सबसे बड़े निजी लैब पर कोरोना टेस्ट करने को लेकर रोक लगा दी है। मुंबई देश का सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित शहर है। ऐसे में टेस्ट में कमी से मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
मुंबई के सबसे बड़े प्राइवेट लैब पर अगले चार हफ्ते के लिए कोरोना टेस्ट करने को लेकर अगले एक महीने के लिए रोक लगा दी गई है। कोरोना संकट के बीच ये रोक महाराष्ट्र और मुंबई के लिए परेशानी और बढ़ा सकते हैं। महाराष्ट्र इस समय देश में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य है। वहीं, मुंबई में संक्रमण का आंकड़ा 53,985 पहुंच गया है। साथ ही मुंबई में 1952 लोगों की मौत हो चुकी है।
बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अनुसार लैब पर ये रोक रिपोर्ट जारी करने में देरी के लिए लगाई गई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बीएमसी ने एक आदेश जारी कर कहा कि रिपोर्ट में देरी से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। साथ ही इससे इलाज में देरी होती है और कुछ मामलों में मरीज की मौत भी हो जाती है।
इस बीच मेट्रोपोलिस लैब ने रिपोर्ट में देरी की बात मानी है और कहा है कि इसके कुछ कारण ये भी हैं कि उनके कर्मचारी भी संक्रमित हुए हैं। साथ ही लैब ने कहा है कि देरी से जारी हुए रिपोर्ट का प्रतिशत बहुत कम है।
इसके अलावा एक और निजी लैब 'थाईरोकेयर' को भी ठाणे में बैन किया गया। उस पर गलत पॉजिटिव रिपोर्ट देने के आरोप हैं। लैब को वसई विरार म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से नोटिस जारी किए गए थे। इससे पहले भी मुंबई में भी थाईरोकेयर को बैन किया गया था लेकिन अब इसे टेस्ट जारी रखने की मंजूरी है।
बता दें कि देश में मुंबई सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित केसों वाला शहर बना हुआ है। वहीं, महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के गुरुवार को 3,607 नए मरीज सामने आए। ऐसे में राज्य में कोविड-19 के कुल मामले बढ़कर 97,648 हो गए हैं। साथ ही कोविड-19 के कारण दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या 3,590 हो गई है। राज्य में संक्रमण से ठीक होने वाले रोगियों का आकंड़ा 44,078 है। राज्य में अबतक 6,09,317 नमूनों की जांच की गई है।
इन सबके बीच देश की राजधानी दिल्ली के करीब नोएडा के तीन प्राइवेट लैब पर भी कार्रवाई हो सकती है। यहां लैब से गलत रिपोर्ट के कारण 35 मरीज तीन दिनों तक कोरोना का इलाज लेते रहे थे। शुरू में इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी लेकिन बाद में पता चला कि इन्हें कोरोना नहीं है।