कोरोना वायरस संक्रमण के बीच काम करने वाले डॉक्टरों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को खतरे से बचाने वाले एन-95 मास्क की किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने नया रास्ता अपनाया है. सरकार ने निर्देश दिया है कि चिकित्सक, नर्स और दूसरे फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मी इस्तेमाल के बाद मास्क को चार दिन सुखाएंगे और दोबारा इस्तेमाल करेंगे.
मास्क के इस्तेमाल को लेकर निर्देश तैयार करने वाले एम्स के एक विशेषज्ञ ने लोकमत समाचार को बताया कि कोरोना के इलाज और जांच में शामिल फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स और डॉक्टरों को 5 मास्क का सेट दिया जाएगा. इनके साथ खाकी रंग के 4 छोटे और एक बड़ा लिफाफा भी होगा. पहले दिन इस्तेमाल किए गए मास्क को वापस उसके लिफाफे में रखने को कहा गया है.
इसके बाद अगले दिन दूसरे मास्क को भी इस्तेमाल के बाद दूसरे लिफाफे में रखा जाएगा. तीसरे और चौथे दिन भी नया मास्क इस्तेमाल करके उसे नए लिफाफे में रखा जाएगा. कहा गया है कि पांचवें दिन, पहले दिन इस्तेमाल किए गए मास्क को फिर से इस्तेमाल किया जाए. इसी तरह छठे दिन, दूसरे दिन इस्तेमाल किए गए मास्क का प्रयोग किया जाए. सातवें दिन तीसरे और आठवें दिन चौथा मास्क लगाया जाए.
यह क्रम 20 दिनों तक दोहराना है. पांचवा मास्क आपात स्थिति के लिए हमेशा साथ रखने के लिए दिया गया है. 20 दिन बाद इस्तेमाल किए गए सभी चार मास्क और उनके लिफाफों को बड़े लिफाफे में डालकर अस्पताल में रखे पीले रंग के कचरे के डिब्बे में डालने होंगे. जहां से ये निस्तारण के लिए भेजे जाएंगे. पूरी दुनिया में जिस तरह कोरोना संक्रमण का खतरा खड़ा हुआ है उससे एन-95 मास्क की किल्लत हो गई है.
भारत भी इससे अछूता नहीं है. इसे देखते हुए केवल कोरोना का इलाज कर रहे चिकित्सकों, फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को ही एन-95 मास्क का इस्तेमाल करने को कहा गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय स्पष्ट कर चुका है कि सामान्य लोग घर में बना फेसकवर, रूमाल, गमछा या अन्य मास्क इस्तेमाल करें. मास्क की कमी को देखते हुए सरकार पहले ही इसके निर्यात को सीमित करने और आयात करने की नीति अपना चुकी है.
इस तरह हो जाता है दोबारा इस्तेमाल के लायक: पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एम्स के विशेषज्ञ ने बताया कि यह निर्देश अमेरिका के अटलांटा स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) द्वारा तय किए गए मानकों के आधार पर तैयार किए गए हैं. उन्होंने बताया कि दरअसल एक मास्क 4 दिन तक लिफाफे में रहने के बाद पूरी तरह सूख जाता है और दोबारा इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाता है. उससे किसी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं होता.