बिहार में लॉकडाउन के दूसरे दिन पुलिस-प्रशासन को दिखानी पड़ी सख्ती, लट्ठ के डर से सहमे लोग हुए घरों में कैद

By एस पी सिन्हा | Published: March 24, 2020 06:39 PM2020-03-24T18:39:44+5:302020-03-24T18:39:44+5:30

बिहार में कोरोना की आशंका वाले मामले बढ़ रहे हैं. आज दोपहर तक कुल 909 लोगों को कोरोना के संदेश की वजह से सर्विलांस पर लिया गया है. इनमें सर्वाधिक मामले गोपालगंज के हैं. इस कड़ी में पटना दूसरे पायदान पर है.

Coronavirus lockdown in Bihar: police-administration had shown strictness, fearing stick siwan chhapara gopalganj patna | बिहार में लॉकडाउन के दूसरे दिन पुलिस-प्रशासन को दिखानी पड़ी सख्ती, लट्ठ के डर से सहमे लोग हुए घरों में कैद

बिहार में कोरोना संक्रमित सिर्फ तीन व्यक्ति अब तक मिले हैं.

Highlightsबिहार में कोरोना की आशंका वाले मामले बढ़ रहे हैं. नीतीश कुमार ने आज एक समीक्षात्मक बैठक बुलाई.

पटना: बिहार की राजधानी पटना सहित पूरे प्रदेश में लॉक डाउन के मंगलवार को दूसरे दिन बाजारों में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. स्थिती की भयावहता को देखते हुए सख्ती बरतनी पड़ी. इस दौरान पुलिस के द्वारा लोगों को लट्ठ पूजा भी करना पड़ा. इसके बद लोग संभले. हालांकि जा किराना से लेकर सब्जी दुकान पर लोगों की भीड़ देखने को मिली. ठेले पर 10 किलो सब्जी रखने वाले के पास भी 40 लोग जमा थे. कोई एक बोरा आलू खरीद रहा था, तो कोई दस दिनों के लिए हरी सब्जियां ले रहा था. इसके बाद पुलिस और प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा. 

बताया जाता है कि पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद अब लोग घरों से कम निकल रहे हैं. जिन्हें आवश्यक कार्य है वही मंगलवार को सड़क पर निकले और उन सबसे भी सख्ती से पूछताछ की जा रही है. लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं और लोगों को लॉकडाउन का पालन करने की गुजारिश की जा रही है. हालांकि लॉक डाउन के चलते कालाबाजारी भी होते देखा गया. कल तक 90 रुपए पसेरी बिकने वाला आलू आज डेढ गुणे दाम में बिक रहा था. हरी सब्जियां भी काफी महंगी बिकी. जिससे दुकानों में अफरा-तफरी का माहौल रहा. इसके बाद कालाबाजारी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं. इसके तहत पटना में कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कुल 12 टीमें बनाई गई हैं जो दुकानों पर जाकर छापेमारी करेगी. मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि पटना में 12 टीमों का गठन किया गया है जो कालाबाजारी के खिलाफ छापेमारी करेंगी. उन्होंने बताया कि आटा-मैदा समेत अन्य खाने पीने वाले चीजों का उत्पादन करने वाली इकाईयों पर लॉकडाउन का कोई असर नहीं रहेगा. इसके बाद पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने सामानों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ छापामारी कर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. अनुमंडल पदाधिकारी और आपूर्ति के अपर समाहर्ता को निर्देशित किया गया है कि छापामारी कर सामग्री आपूर्ति और मूल्य संबंधी पहलुओं की जांच करें. कालाबाजारी करने वालों पर विधि सम्मत सख्त कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए. 

बिहार में मास्क बनाने का काम शुरू 

वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार के अलावा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार समेत कई अन्य अधिकारी भी शामिल थे. जानकारी के मुताबिक इस बैठक में इस बात का भी फैसला लिया गया कि बिहार में जीविका की दीदियां मास्क का निर्माण करेंगी. इसके लिए 4 जिलों में मास्क निर्माण का कार्य शुरू हो गया है और अगले दो से 3 दिनों में बाजार में यह मास्क उपलब्ध हो जाएगा. मुख्यसचिव ने बताया कि बिहार में सैनिटाइजर बनाने का काम भी शुरू हो चुका है और हाजीपुर में भारी मात्रा में सैनिटाइजर का उत्पादन किया जा रहा है. सरकारी कार्यालय बंद होने के संबंध में जानकारी देते हुए मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि सरकारी कार्यालय बंद नहीं होंगे. सरकार के कामकाज को करने के लिए बिहार के सभी सरकारी कार्यालय खुले रहेंगे. उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मियों के बिना सरकार का काम होना असंभव है. ऐसे में अगले एक-दो दिनों में रास्ता निकाला जाएगा. दीपक कुमार ने बताया कि हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि कार्यालय आने वाले कर्मचारियों को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पडे. इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज एक समीक्षात्मक बैठक बुलाई. जानकारी के मुताबिक बैठक में कोरोना के ताजा हालात पर चर्चा की गई साथ ही यह निर्णय लिया गया कि अधिकारी व्यापारियों से बात भी करेंगे. डीएम से लेकर तमाम अधिकारी व पुलिस बल सामान स्टॉक की जांच भी करेंगे. 

बिहार में अबतक 909 कोरोना संदिग्ध 

उधर, बिहार में कोरोना की आशंका वाले मामले बढ़ रहे हैं. आज दोपहर तक कुल 909 लोगों को कोरोना के संदेश की वजह से सर्विलांस पर लिया गया है. इनमें सर्वाधिक मामले गोपालगंज के हैं. इस कड़ी में पटना दूसरे पायदान पर है. गोपालगंज से अबतक 172 और पटना से सौ लोगों को सर्विलांस पर लिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के मुताबिक बिहार में कोरोना संक्रमित सिर्फ तीन व्यक्ति अब तक मिले हैं. जिनमें से मुंगेर में रहने वाले सैफ अली की मौत हो चुकी है. दो लोग का अस्पताल में इलाज चल रहा है. प्रधान सचिव ने बताया कि आरएमआरआइ पटना को सोमवार तक 194 कोरोना संदिग्धों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे. जिनमें से 192 रिपोर्ट अब तक मिल चुकी है. तीन पुराने मामलों को छोड़ कोई नया पॉजिटिव केस नहीं मिला है. इसमें 189 निगेटिव आई हैं. 

इधर आरएमआरआइ की ओर से आधिकारिक जानकारी में बताया गया कि आज स्वास्थ्य विभाग की ओर से 81 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. जिनकी जांच शुरू कर दी गई है. स्वास्थ्य विभाग ने आधिकारिक तौर पर जानकारी दी कि राज्य में 24 मार्च तक कुल 909 लोगों को कोरना की आशंका में सर्विलांस पर लिया गया है. इसबीच, बिहार में कोरोना की आशंका वाले बढते मामलों के बीच आज गया एयरपोर्ट से 6 कोरोना संदिग्ध मिले हैं. जिन्हें क्वारन्टीन के लिए भेजा गया है. गया एयरपोर्ट पर जनवरी 15 के बाद से ही आने वाले यात्रियों की कोरोना जांच की जा रही है. पहली बार यहां से संदिग्ध मिले हैं. जिलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक अररिया 2, सीतामढी 7, सहरसा 57, भागलपुर 36, सुपौल 2, मधुबनी 63, मधेपुरा 9, भोजपुर 21, गया 55, सिवान 42, पूर्वी चंपारण, 26, पश्चिमी चंपारण 74 किशनगंज 19, मुजफ्फरपुर 15, रोहतास 10 समस्तीपुर 48, वैशाली 6, दरभंगा 28, पूर्णिया 1, कटिहार 3, नवादा 9, बेगूसराय 7, नालंदा 44, बक्सर 4, मुंगेर 12, अरवल 1, जहानाबाद 8, बांका 2, कैमूर 11 लोगों पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है.

इस बीच सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग को कोरोना वायरस से जुड़े मामलों की मॉनीटिरंग व ट्रैकिंग का दायित्‍व सौंपा है. अब स्वास्थ्य विभाग को केवल इलाज के काम से जोडा जा रहा है. शेष कार्य आपदा प्रबंधन विभाग अपनी मशीनरी के माध्यम से कराएगा. आपदा प्रबंधन विभाग हर रोज अपनी मॉनीटरिंग रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपेगा. संक्रमण से जुड़ी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को भी दी जाएगी. आपदा प्रबंधन विभाग को सरकार ने यह जबावदेही सौंपी है कि वह जिलावार हर रोज यह आंकडा अपडेट करे कि कितनी संख्या में लोग बाहर से आ रहे हैं और उनके जांच व इलाज आदि की क्या व्यवस्था हो रही है. ग्रामीण इलाकों में स्कूलों, पंचायत भवनों व अन्य सरकारी भवनों में बिहार के बाहर से पहुंच रहे लोगों के आइसोलेशन सेंटर की जो व्यवस्था तैयार हो रही है. उसकी मॉनीटरिंग भी आपदा प्रबंधन विभाग को ही करना है. मॉनीटरिंग के क्रम में यह भी देखना है कि अस्पतालों पर किस तरह से लोग आ रहे हैं. अगर वहां अतिरिक्त संख्या में लोगों की तैनाती की जरूरत पडती है तो आपदा प्रबंधन विभाग ही स्वास्थ्य विभाग को अपडेट करेगा. कोरोना वायरस से बिहार में हुई एक युवक की मौत के बाद उनके परिजनों को चार लाख रुपए की अनुग्रह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष से संबंधित परिवार को दी जानी है. यह प्रक्रिया भी आपदा प्रबंधन विभाग के माध्यम से ही पूरी की जाएगी.

कोरोना: कई इलाकों में सील बंद 

वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बिहार के कैमूर जिला के गामीणों तथा नवादा के एक मोहल्‍ले के लोगों ने वहां किसी भी बाहरी व्‍यक्ति को तब तक प्रवेश नहीं दिया, जब तक कि पूरी पड़ताल न कर ली जाए. साथ ही दोनों जगह लोगों ने खुद को आइसोलट भी कर लिया है. बिहार के नवादा के बुंदेलखंड मोहल्‍ला को लोगों ने पहले सैनिटाइज किया, फिर खुद को आइसोलेट कर लिया है. मोहल्ले के लोगों सामूहिक तौर पर फैसला लेकर लॉक डाउन कर दिया है. करीब 50 घरों व ढाई सौ से अधिक जनसंख्‍या वाले इस मोहल्‍ले के प्रवेश और निकास द्वार को बंद कर दिया है. किसी भी बाहरी व्‍यक्ति को मोहल्ले में प्रवेश की इजाजत नहीं है. मोहल्‍ले के रहने वाले परमानंद सिंह मानते हैं कि लोगों का यह कदम कोरोना के खिलाफ जंग में अहम कदम है. माहल्‍ले के अन्‍य लोगों ने भी उनकी बातों का समर्थन किया.

उधर, बिहार के कैमूर जिले के ग्रामीण भी कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सजगता की मिसाल दे रहे हैं. गांव में बाहर के लोगों को नहीं आने दिया जा रहा है. अगर कोई करीबी किसी आवश्‍यक काम से आ रहा है तो पहले उसके लिए कोराना संक्रमण की जांच कराना जरूरी है. कैमूर के ग्रामीणे के दबाव में बाहर से आए करीब सौ लोगों की स्‍थानीय सदर अस्पताल में स्क्रीनिंग की जा चुकी है. कैमूर के चांद थाना अंतर्गत केसरी गांव निवासी नंद लाल ने बताया कि मुंबई से गांव आने पर उसे एंट्री नहीं दी गई. गांव वालों ने कहा कि पहले कोरोना की जांच कराओ, फिर एंट्री मिलेगी. जबकि भभुआ गवाई मोहल्‍ला के एक युवक ने भी बताया कि गांव वालों ने उसे जांच के बाद ही एंट्री देने की बात कही है. इसतरह की खबरें राज्य के कई जिलों से मिल रही है कि बाहर से आने वाले लोगों को गांव से बाहर ही स्कूल या किसी अन्य ऐसे स्थान पर रहने को मजबूर किया जा रहा है, जहां उनके संपर्क में कोई नही आ सके. जांच के बाद हीं उन्हें गांव में प्रवेश करने दिया जा रहा है.

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