कोरोना वायरसः वित्त मंत्रालय ने कहा- मीडिया में चल रही 'फेक न्यूज', हमने नहीं बढ़ाया वित्तीय वर्ष
By रामदीप मिश्रा | Published: March 30, 2020 11:15 PM2020-03-30T23:15:27+5:302020-03-31T00:11:16+5:30
कोरोना वायरसः रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष को तीन महीने बढ़ाकर इसे 15 महीने का वित्तीय वर्ष बना दिया है ताकि उद्योग को COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिल सके।
कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और भारत में इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार देर शाम तक भारत में कोरोना के 1251 मामले सामने आ चुके हैं और 32 लोगों की मौत चुकी है। इस बीच वित्त मंत्रालय उन मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि इस साल जून तक वित्तीय वर्ष का विस्तार किया गया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया के कुछ वर्गों में फर्जी खबरें चल रही हैं कि वित्तीय वर्ष बढ़ा दिया गया है। भारतीय स्टाम्प अधिनियम में किए गए कुछ अन्य संशोधनों के संबंध में भारत सरकार द्वारा 30 मार्च 2020 को जारी की गई एक अधिसूचना को गलत बताया जा रहा है।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि स्टाम्प शुल्क कानून में किये गये संशोधन अब एक अप्रैल के बजाय एक जुलाई 2020 से लागू होंगे। वित्त मंत्रालय ने देर शाम जारी वक्तव्य में कहा कि सरकार ने कर चोरी को रोकने और स्टाम्प शुल्क लगाने की प्रणाली को तर्कसंगत और सुचारू बनाने के लिये वित्त विधेयक 2019 के जरिये भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 में संशोधन किया है। इसमें किये गये बदलावों को एक अप्रैल 2020 से लागू होना था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष को तीन महीने बढ़ाकर इसे 15 महीने का वित्तीय वर्ष बना दिया है ताकि उद्योग को COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिल सके। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि 2020-21 के वित्तीय वर्ष अप्रैल 2020 के बजाय 1 जुलाई, 2020 से शुरू होंगे।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमण की सोमवार तक तक 1071 मामलों में पुष्टि की जा चुकी है और इनमें से 29 मरीजों की मौत हो गई। उन्होंने बताया था कि पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमण के 92 नए मामले सामने आये हैं, जबकि इस अवधि में चार मरीजों की मौत हुई है। अब तक 99 संक्रमित मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गयी है।
अग्रवाल ने संक्रमण को रोकने के लिये घोषित लॉकडाउन के असर के विश्लेषण के आधार पर बताया कि भारत में संक्रमण के बढ़ने की गति विकसित देशों की तुलना में कम है। भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने की गति और इससे जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में संक्रमण के मामले 100 से 1000 तक पहुंचने में 12 दिन लगे, जबकि विकसित देशों में इस अवधि में संक्रमित मरीजों की संख्या 3500 से 8000 तक पहुंच गई। इससे स्पष्ट है कि भारत में इसके संक्रमण की दर तुलनात्मक रूप से कम है।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को नियंत्रण में रखने में प्रमुख योगदान, लॉकडाउन के दौरान लोगों की एक दूसरे से सुरक्षित दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाये रखना है। अग्रवाल ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि इसका शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किये जाने पर ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सकेगा।